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हिन्द स्वराज्य: परिशिष्ट - १

मैंने जो कुछ कहा सो अंग्रेजोंके प्रति द्वेष-भावके कारण नहीं कहा, बल्कि उनकी सभ्यताके प्रति द्वेष-भावसे कहा है ।

मुझे जान पड़ता है कि हमने स्वराज्यका नाम लिया है किन्तु उसका स्वरूप नहीं समझा है। मैंने उसे जैसा समझा, वैसा समझानेका प्रयत्न किया है। मेरा अन्तःकरण इस बातकी गवाही देता है कि उस तरहका स्वराज्य प्राप्त करने के लिए मेरी देह समर्पित है।

[ गुजरातीसे ]

परिशिष्ट
कुछ प्रमाणभूत ग्रन्थ और प्रतिष्ठित व्यक्तियोंकी साक्षी
कुछ प्रमाणभूत ग्रन्थ

'हिन्द स्वराज्य में प्रतिपादित विषयके अधिक अध्ययनके लिए पाठक निम्न- लिखित पुस्तकें पढ़ें :

द किंगडम ऑफ़ गॉड इज़ विदिन यू-टॉल्स्टॉय

व्हॉट इज़ आर्ट ? – टॉलस्टॉय

द स्लेवरी ऑफ़ अवर टाइम्स

द फर्स्ट स्टेप – टॉल्स्टॉय

हाउ शैल वी एस्केप ? – टॉलस्टॉय

लेटर टु ए हिन्दू – टॉलस्टॉय

द व्हाइट स्लेन्ज़ ऑफ़ इंग्लैंड - शेरार्ड

सिविलाइजेशन, इट्स कॉज़ ऐंड क्योर -कारपेन्टर

द फैलेसी ऑफ़ स्पीड - टेलर

ए. न्यू क्रूसेड- ब्लाउण्ट

ऑन द ड्यूटी ऑफ़ सिविल डिसओबीडिएन्स - थोरो

लाइफ विदाउट प्रिन्सिपल – थोरो

अन्टु दिस लास्ट - रस्किन

ए ब्वॉय फॉर एवर - रस्किन

ड्यूटीज़ ऑफ़ मैन - मैज़िनी

डिफेन्स ऐंड डैथ ऑफ़ सॉक्रेटीज़ - प्लेटो

वैराडॉक्सेज़ ऑफ़ सिविलाइज़ेशन - मैक्स नादैयू

पावर्टी ऐंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया - नौरोजी


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