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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

किसी सभ्य देशमें ईमानदारीसे किये जाने योग्य जो भी कार्य होते हैं उनमें शायद ही कोई ऐसा हो जिसमें हिन्दू स्त्रियाँ समुचित हिस्सा न लेती हों। घर-गृहस्थीकी व्यवस्था और परिवारकी सार-सँभालके सिवा किसानोंकी पत्नियाँ और लड़कियाँ अपने पतियों और पिताओंको खेती-किसानीमें मदद पहुँचाती हैं। व्यापार-धन्धा करनेवालोंकी स्त्रियाँ उन्हें उनकी दुकान चलानेमें मदद करती हैं। कितनी ही स्त्रियाँ अपने बलपर दूकानें चलाती हैं, उन्हें अक्षर या अंकोंका ज्ञान नहीं होता फिर भी वे अपना हिसाब-किताब दूसरी युक्तियोंके द्वारा बहुत अच्छी तरह रखती हैं और व्यापारिक सौदे करनेमें वे पुरुषोंसे भी चतुर मानी जाती हैं ।

जे० यंग
(सेक्रेटरी, सेवॉन मेकेनिक्स इंस्टिट्यूट)

भारतमें बसनेवाली ये जातियाँ नैतिक दृष्टिसे दुनियामें शायद सबसे ज्यादा विशिष्ट हैं। उनके व्यक्तित्व और स्वभावसे नैतिक पवित्रता टपकती मालूम होती है जिसकी हम सराहना किये बिना नहीं रह सकते। गरीब वर्गोंके बारेमें यह बात खास तौरपर लागू होती है जो गरीबीसे उत्पन्न अभावोंके बावजूद सुखी और सन्तुष्ट दिखाई पड़ते हैं । वे प्रकृतिके सच्चे बालक हैं और अपना जीवन कलकी चिन्ता किये बिना और विधाताने उन्हें रूखा-सूखा जो भी दे रखा है, उसके लिए उसका आभार मानते हुए, सन्तोषसे बिताते हैं। स्त्री और पुरुष मजदूरोंको दिन-भरकी कड़ी मजदूरीके बाद, जो कभी-कभी तो सूर्योदयसे सूर्यास्त तक चलती रहती है, शामके समय घर वापस आते हुए देखिए तो आपको विस्मय होगा । लगातार कड़ी मेहनत करने के फलस्वरूप होनेवाली थकानके बावजूद वे लोग ज्यादातर खुश नजर आते हैं, उनके हाथ-पाँवोंमें तब भी सजीवता होती है, आपसमें उत्साहपूर्वक बातचीत करते होते हैं और बीच- बीचमें किसी गीतकी कड़ी गुंजा उठते हैं। किन्तु जिन्हें वे अपना घर कहते हैं उन झोंपड़ोंमें पहुँचनेके बाद उन्हें मिलता क्या है ? भोजनके नामपर थोड़ा-सा चावल और सोनेके लिए मिट्टीका फर्श । भारतीय घरोंमें पारिवारिक सौहार्द तो सामान्यतः मिलता ही है। भारतमें प्रचलित विवाह-सम्बन्धकी रीतिका खयाल किया जाये तो वह कुछ अजीब-सी मालूम होती है क्योंकि विवाह सम्बन्ध जोड़नेका काम वहाँ माता-पिता करते हैं। अधिकतर घर-परिवार हर तरहसे सुसम्पन्न श्रेष्ठ वैवाहिक जीवनका उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इसका कारण शायद उनके शास्त्रोंकी शिक्षा और वैवाहिक कर्तव्योंके विषयमें उनके महान आदेश हैं। लेकिन यह कहने में भी कोई अत्युक्ति नहीं कि पति सामान्यतः अपनी पत्नियोंसे गहरा प्रेम करते हैं और अधिकांश पत्नियाँ पतिके प्रति अपने कर्तव्योंके बारेमें बहुत ऊँचे आदर्श रखती हैं।

कर्नल टामस मनरो
(भारतमें ३२ वर्ष तक सरकारी नौकर)

खेतीकी अच्छी पद्धति, अद्वितीय वस्तु-निर्माण-कौशल, ऐसी सारी चीजें पैदा करनेकी क्षमता जिनसे सुविधाओंमें या सुखोपभोगमें वृद्धि होती हो, लिखना-पढ़ना और गणित आदि सिखानेके लिए हरएक गाँवमें पाठशालाएँ, अभ्यागतका स्वागत-सत्कार


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