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पत्र: मगनलाल गांधीको

करनेकी सर्वसामान्य प्रथा और एक-दूसरेके प्रति प्रेम और सद्भावका गुण और सबसे बढ़कर स्त्रीजातिके प्रति विश्वास, आदर और कोमलताका व्यवहार – यदि इन्हें किसी जातिके सभ्य होनेका चिह्न माना जाये तो हिन्दू जाति यूरोपके किसी भी राष्ट्रसे घटकर नहीं है; और यदि इन दोनों देशोंके बीच सभ्यताका लेन-देन होता है तो मुझे निश्चय है कि इस देशसे हम जो भी लेंगे उससे लाभ ही होगा ।

सर विलियम वेडरबर्न, बैरिस्टर

भारतीय गाँव इस प्रकार सदियों तक राजनीतिक अव्यवस्थाकी बाढ़ रोकनेवाली दीवार और सादे, घरेलू और सामाजिक गुणोंका धाम रहा है। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि तत्ववेत्ताओं और इतिहास-लेखकोंने इस प्राचीन संस्थाकी हृदयसे सराहना की है। ग्राम-संस्था स्वाभाविक सामाजिक इकाई और ग्राम-जीवनका श्रेष्ठ नमूना है : स्वयंपूर्ण, उद्योगशील, शान्ति-प्रेमी और शब्दके उत्तम अर्थमें प्राचीनता-प्रेमी । .. मेरा खयाल है कि आप मुझसे इस बातमें सहमत होंगे कि भारतीय गाँवके सामाजिक और घरेलू जीवनकी इस झलकमें ऐसा बहुत कुछ है जो सुहावना भी है और लुभावना भी । वह मनुष्यकी जीवन पद्धतिका एक निर्दोष और सुखी नमूना है। इसके सिवा, उसके व्यावहारिक परिणाम भी बहुत अच्छे रहे हैं।

४. पत्र : मगनलाल गांधीको
यूनियन कैंसिल लाइन,
 
आर० एम० एस० किल्डोनन कैंसिल,
 
नवम्बर २४, १९०९
 
चि० मगनलाल,
 

निश्चित नहीं है, हम कब मिलेंगे। इसलिए सभी पत्रोंके उत्तर यहींसे दिये डालता हूँ । इस बार जहाजमें मैंने जो काम किया है, उसकी कोई हद नहीं रही है । यह तुम वेस्ट आदिको लिखे मेरे पत्रों और लेखों आदिसे देखोगे । मुझे कहना बहुत है; किन्तु वह तो जब मिलें तभी । इस समय तो जितना आवश्यक है उतना ही लिखूंगा । चि० सन्तोककी स्थितिके सम्बन्धमें पढ़कर सन्तोष हुआ है।

फीनिक्सका नाम फीनिक्सके सिवा दूसरा कुछ भी नहीं होना चाहिए, यह ठीक जान पड़ता है। मेरा नाम भुला दिया जाये, यह चाहता हूँ। मेरी इच्छा यह है कि मेरा काम रहे । नाम भुला दिया जाये तभी काम रहेगा । नाम इत्यादि देनेके झगड़े में भी फिलहाल पड़ना ठीक नहीं है। हम तो प्रयोग कर रहे हैं। तब नामसे क्या ? और जब नाम दिया जायेगा उस समय भी हमें एक ऐसा बीचका शब्द ढूंढ़ना पड़ेगा जिसमें हिन्दू और मुसलमानका प्रश्न उठे ही नहीं। मठ या आश्रम विशेष रूपसे हिन्दुओंसे

१. खुशालचन्द गांधीके पुत्र, गांधीजीके भतीजे ।

२. गांधीजीने सम्पूर्ण हिन्द स्वराज्यकी रचना की, टॉल्स्टॉयके एक हिन्दूके नाम पत्रका गुजराती अनुवाद किया, इसकी अंग्रेजी और गुजराती प्रस्तावनाएँ लिखीं और बहुतसे पत्र भी लिखे ।

३. मगनलाल गांधीकी पत्नी, सन्तोष बेन ।


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