सम्बन्धित शब्द हैं। इसलिए उनका प्रयोग नहीं किया जा सकता। फीनिक्स अनायास मिला हुआ अच्छा शब्द है । एक तो यह अंग्रेजी शब्द है, इसलिए इससे जिस देशमें हम रहते हैं उसका सम्मान हुआ। फिर वह तटस्थ शब्द है और कहा जाता है कि फीनिक्स पक्षी स्वयं अपनी राखमें से फिर-फिर पैदा हो जाता है, अर्थात् मरता ही नहीं। फीनिक्सका जो उद्देश्य है, वह हमारे राख हो जानेपर भी नहीं मिटेगा, ऐसी हमारी मान्यता है। इसलिए अभी तो फीनिक्स नाम ही काफी है। भविष्यमें देखेंगे कि क्या करना उचित है। इस समय तो रंग और ढंग' दोनों फीनिक्स पक्षीके जैसे हैं।
भाई ठक्करको जो पत्र लिखा है उसको पढ़ना।
प्रभुदास गांधी-कृत 'जीवननुं परोठ' में गाधीजीके हस्तलिखित गुजराती पत्रके चित्रसे ।
चि० मणिलाल, *
इस समय रातके ९-३० बजे हैं। केपटाउन अभी पाँच दिनकी मंजिल है। मैं दायें हाथसे लिखते-लिखते थक गया हूँ, इसलिए अब तुमको बायें हाथसे पत्र लिखता हूँ । सम्भव है कि मुझे बाला-बाला जेल चले जाना पड़े, इसलिए यह पत्र लिखता हूँ ।
मेरे जेल जानेसे तुम तो प्रसन्न ही होगे, यह माने लेता हूँ; क्योंकि तुम समझदार हो । लड़ाईका रहस्य यही है कि हम जेल जाते हुए प्रसन्न हों और वहाँ प्रसन्न रहें।
तुमने फीनिक्सके सम्बन्धमें प्रश्न पूछा, सो ठीक किया। पहले यह विचार करना पड़ेगा कि हम आत्माकी खोज कैसे कर सकते हैं और देशसेवा किस प्रकार कर सकते हैं। उसके बाद यह समझा जा सकता है कि फीनिक्स क्या है ? आत्माकी खोजके लिए पहले तो नीतिपर दृढ़ता होनी चाहिए; अर्थात् अभय, सत्य, ब्रह्मचर्य आदि गुणोंका सम्पादन करना चाहिए। ऐसा करते हुए देशसेवा अपने आप हो सकती है। इसमें फीनिक्स बहुत सहायक है। मेरा विचार ऐसा है कि शहरोंमें, जहाँ लोग घनी आबादीमें रहते हैं और जहाँ बहुतेरे प्रलोभन हैं, नैतिक नियमोंका पालन करना बहुत कठिन है। इसीलिए ज्ञानी पुरुषोंने फीनिक्स जैसे एकान्त स्थानका निर्देश किया है । सच्ची पाठशाला अनुभव है । जो अनुभव तुम्हें फीनिक्समें मिला है, वह दूसरे स्थानमें न
१. मूलमें 'वाट अने घाट' (राह और रूप) हैं; प्रचलित गुजराती मुहावरा ।
२. हरिलाल ठक्कर, फीनिक्समें प्रेसके एक कार्यकर्ता ।
३. उपलब्ध नहीं हैं ।
४. गांधीजीके दूसरे पुत्र ।
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