शिष्टमण्डलपर अन्तिम टिप्पणी हमारी माँग हमने लॉर्ड ऍम्टहिलकी मार्फत जो माँग की है वह इस प्रकार है। कानूनमें सबको प्रवेशका समान अधिकार होना चाहिए। कानूनके अन्तर्गत किसी भी जातिके लोगोंकी संख्या निर्धारित करनेका अधिकार गवर्नरको दिया जाना हमें स्वीकार है । किन्तु कानून तो सबके लिए समान ही होना चाहिए । जनरल स्मट्सका कथन जनरल स्मट्सका कहना है कि वे भारतीयोंको स्थायी अधिवासका अनुमतिपत्र देनेके लिए तैयार हैं; वे खूनी कानूनको रद करनेके लिए भी तैयार हैं; किन्तु प्रवासी अधिनियमके अन्तर्गत समान अधिकार देनेके लिए तैयार नहीं । उनके कथनानुसार एशियाई लोगोंके लिए अलगसे एक खास कानून होना चाहिए । लॉर्ड क्रूने साफ-साफ लिखा है कि समान अधिकार देनेकी बात ही जनरल स्मट्सको मंजूर नहीं है। इसलिए अर्थ यह हुआ : 'वे उसी चीजको [ जो हम चाहते हैं ] अधिकारके रूपमें नहीं, किन्तु दानके रूप में देना चाहते हैं। कानूनमें तो वे गोरे और कालेका भेद कायम रखना चाहते हैं। हम कहते हैं कि हम संख्या के लिए नहीं लड़ते बल्कि समान अधिकारके लिए लड़ते हैं • भले ही वह अधिकार नाम मात्रका क्यों न हो । -- (२) इंग्लैंडमें चन्दा इंग्लैंडमें किये गये चंदेमें अबतक नीचे लिखी रकमें प्राप्त हुई हैं। इनमें से दो रकमें मैं पहले ही दे चुका हूँ फिर भी उनको दुबारा दे रहा हूँ : डॉक्टर मेहता हिन्द-सेवक (प्रति मास) श्री गोकुलभाई दलाल श्री जे० एम० परीख श्री एच० बोस कुमारी विंटरबॉटम श्री दलीपसिंह श्रीमती दुबे डॉक्टर कुमारी जोशी पौं०शि० पें० १०-०-० ३-०-० ०-१०-० १-१-० ०-२-० १०-०-० ५- ०-० १-०-० ३-०-० ३३-१३-० यह तो अभी शुरुआत ही है। अभी चन्दा माँगने कोई नहीं निकला है। १. १९०७ का ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन अधिनियम २ । २. उपनिवेश मन्त्री । ३. यह २५-१२-१९०९ के इंडियन ओपिनियन में दूसरी किस्तके रूपमें प्रकाशित हुआ था । ४. दलाल तथा डॉक्टर कुमारी जोशीसे प्राप्त, देखिए खण्ड, ९, १४ ५३० । ५. राजकुमार दिलीपसिंह । Gandhi Heritage Portal