पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/११६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
कैम्ब्रिजमें सभा

कैम्ब्रिजसे आमन्त्रण मिलनेपर मैं सर्व श्री हाजी हवीब, इस्माइल ईसा और आजम के साथ वहाँ गया। अलीगढ़ कालेजके तथा पंजाब, बंगाल और गुजरातके छात्रोंसे भेंट हुई। श्री खान हमारे साथ लन्दनसे आये थे । लगभग ७० छात्रोंसे हमारी भेंट हुई। सभामें श्री हाजी हबीब और मैंने भाषण दिये। उनको सुननेके बाद सभामें अच्छा उत्साह दिखाई दिया। उन्होंने चन्दा उगाहने और हस्ताक्षर प्राप्त करने आदि कामों में सहायता करना स्वीकार किया है। वहाँ प्रोफेसर तेजासिंहसे भी हमारी मुलाकात हुई।

स्टेशनपर विदा करनेके लिए श्री पोलकका परिवार, कुमारी स्मिथ, सर मंचरजी, श्री दुबे, श्री परीख, श्री मुन्सिफ और श्री बोस तथा अन्य भारतीय और अंग्रेज आये थे। इस प्रकार चारों ओर सहानुभूति जाग्रत हो गई है। इसको कायम रखना हमारा काम है। और इसी प्रकार लड़ाईका अन्त समीप लाना या उसे लम्बे अरसे तक चलने देना भी हमारे ही हाथमें है।

श्री मायरकी सभा

श्री मायरने हम दोनोंसे मिलने और हमें जो कहना हो उसको सुननेके लिए वेस्ट मिन्स्टर पैलेस होटलमें १२ तारीखको एक सभा की थी। इसमें लॉर्ड ऍम्टहिल, लॉर्ड कर्जन, लॉर्ड राबर्ट्स आदि सज्जनोंने न आनेपर खेद प्रकट करते हुए पत्र भेजे थे। सर चार्ल्स ब्रूसका पत्र' निम्न प्रकार था :

यद्यपि जिस कामके लिए वे (श्री हाजी हबीव और श्री गांधी) आये हैं उसमें सफलता नहीं मिली है तो भी मैं निराश नहीं हूँ । मानव-जातिके इतिहास में ऐसा ही देखा जाता कि प्रकाशसे पहले घोर अन्धकार होता है। अमेरिकामें जब गुलाम मुक्त किये गये तब अत्यन्त निराशा थी । जिस समय ईसाको बहुत ज्यादा निराशा दिखाई देती थी वही समय [ उनकी ] मुक्तिका था। मैं आपकी सभामें नहीं आ सकता; किन्तु मैं श्री गांधी और श्री हाजी हबीबकी सफलता चाहता हूँ ।

सर विलियम मार्केबीने निम्नलिखित पत्र लिखा :

मैं सुनता हूँ श्री हाजी हबीब और श्री गांधी, जो थोड़ा-सा न्याय प्राप्त करनेके लिए आये थे, उसको प्राप्त किये बिना वापस जा रहे हैं। उनकी मांग

१. ७-११-१९०९ को हुई इंडियन मजलिसकी सभा, देखिए खण्ड ९, पृष्ठ ५१९ ।

२. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयके एक स्नातक, पंजाबके खालसा कालेज में अंग्रेजीके प्रोफेसर तथा कैनडामें सिख समाजके उन मुख्य सदस्यों में से एक जिन्होंने सिखोंको बसानेमें मदद देनेके लिए 'गुरु नानक माइनिंग डेवेलपिंग ऐंड ट्रस्ट कम्पनी 'का संगठन किया था ।

३. पादरी एफ० बी० मायर, दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिके सदस्य; देखिए खण्ड ९, पृष्ठ ५२९ ।

४. १८९९-१९०० तथा १९०२-१९०४में दक्षिण आफ्रिका में सेनाध्यक्ष; देखिए खण्ड ७ पृष्ठ ४ :

५. मॉरिशसके गवर्नर ( १८९७-१९०४) ।

६. मूल पत्रके लिए देखिए इंडियन ओपिनियन ११-१२-१९०९ ।

७. (१८२९-१९१४), कलकत्ता हाईकोर्टके जज, १८६६-७८; देखिए खण्ड ६, पृष्ठ २०१ ।


Gandhi Heritage Portal