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शिष्टमण्डलपर अन्तिम टिप्पणी

उचित है, इससे कोई इनकार नहीं करता । केवल राजनीतिक कारणोंसे ब्रिटिश सरकार हस्तक्षेप नहीं करती। लोगोंके उचित अधिकारोंकी रक्षाके लिए भी ब्रिटिश सरकार हस्तक्षेप नहीं करती यह बात उचित नहीं है ।

इस समारोहमें जो लोग उपस्थित थे, उनमें राजकुमारी सोफिया, दलीपसिंह, सर रेमंड वेस्ट', श्री अमीर अली, सर फेड्रिक लेली, डॉ० रदरफर्ड, सर मंचरजी भावनगरी, मेजर सैयद हुसैन बिलग्रामी, कुमारी विटरबॉटम', श्री दुबे और उनकी पत्नी, माननीय श्री दाजी आबाजी खरे और उनकी पत्नी, श्री मोतीलाल नेहरू, श्री मार्नहम और उनकी पत्नी, श्री रेडक्लिफ और उनकी पत्नी, श्री रिच और श्री इस्माइल ईसा आदि थे ।

सब चाय-पान कर चुके तो श्री मायर बोले कि जब श्री गांधीने मुझे सारी बात बताई तब मुझे लगा कि श्री हाजी हबीब और श्री गांधीसे कुछ सज्जनोंकी भेंटकी व्यवस्था होनी चाहिए । इसीसे मैंने यह सभा बुलाई है। श्री गांधीसे मैं दक्षिण आफ्रिकामें मिला था। उनके त्यागसे मैं परिचित हूँ। हम न्यायप्रिय लोग कहे जाते हैं, तब फिर हम अपने इन मित्रोंको अपनी सहानुभूति बताये बिना नहीं जाने दे सकते । हम यहाँ आये हैं, इसका अर्थ यह नहीं कि हम उनके सब कार्योंको उचित कहते हैं । हमें ऐसा नहीं कहना है कि उन्होंने भूल की ही नहीं है। जो भूल नहीं करता वह मनुष्य नहीं कहा जा सकता। किन्तु हम उनके कार्यको आम तौरपर पसन्द करते हैं और उनकी लड़ाई उचित है यही कहनेके लिए इकट्ठे हुए हैं। यह सवाल केवल ट्रान्सवालका ही नहीं है। यह एकमात्र भारतका भी नहीं है; बल्कि समस्त ब्रिटिश राज्यका है। श्री गांधी बताते हैं कि [ जनरल स्मट्सकी ओरसे ] ऐसा प्रस्ताव आया है कि सन् १९०७ का कानून रद हो जायेगा; किन्तु इसमें शर्त है और वह मंजूर करने योग्य नहीं है। जिस कानूनमें समान अधिकार हो, ऐसे कानूनके विरुद्ध श्री गांधी नहीं हैं, किन्तु जिसमें भारतीय जातिका अपमान होता हो उसके विरुद्ध हैं।

श्री गांधीने कहा :4

श्री मायरने यह सभा बुलाई, इसके लिए मैं आभारी हूँ। मेरे साथीको और मुझको यह अवसर मिला है, यह सन्तोषकी बात है। हम यह नहीं चाहते कि हमने जो किया है उस सबको यह सभा मंजूर करे । हम आपसे इतना ही कहलवाना चाहते हैं कि हमारी माँग उचित है और हम इसमें आपकी सहायता चाहते हैं। जिस सवालके लिए हम लड़ते हैं। वह सवाल केवल ट्रान्सवालका नहीं है, बल्कि समस्त ब्रिटिश साम्राज्यका है। ट्रान्सवालकी सरकार जो-कुछ करना मंजूर करती है वह काफी

१. (१८३२-१९१२), जूरी, बम्बई विश्वविद्यालयके उपकुलपति; देखिए खण्ड ६, १४ २३७ ।

२. अन्त: परिषद् ( शिवी कौंसिल) के सदस्य, देखिए “ न्यायमूर्ति अमीर अलीका सम्मान ", " पृष्ठ १११ ।

३. ' यूनियन ऑफ एथिकल सोसाइटीज' की मन्त्रिणी, देखिए खण्ड ६, पृष्ठ १३८ ।

४. अंग्रेजी रिपोर्ट ११-१२-१९०९ के इंडियन ओपिनियन में प्रकाशित हुई थी ।

५. ११-१२-१९०९ के इंडियन ओपिनियन में भाषणकी अंग्रेजी रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी देखिये खण्ड ९, पृष्ठ ५४५-५० ।


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