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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मेरे जेलमें जानेसे तुम घबराना मत। तुम्हें खुश होना चाहिए। जहाँ हरिलाल' है वहाँ मुझे होना ही चाहिए। संघर्षके विचारसे भी मुझे वहाँ ही होना चाहिए। तुम आनन्दसे रहना। मैं तुमको शरीरसे हृष्टपुष्ट देखना चाहता हूँ ।

बापूके आशीर्वाद
 

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती (सी० डब्ल्यू० ९३) से ।

सौजन्य : श्रीमती सुशीलाबेन गांधी ।

१०. तार : गो० कृ० गोखलेको
[ नवम्बर ३०, १९०९]
 

कृपया श्री टाटाको यथासमय उदारतापूर्ण सहायता देनेके लिए धन्यवाद दीजिए | विपत्ति बढ़ी। कैदियोंको बहुत कष्ट । धार्मिक भावनाओंकी उपेक्षा । खुराककी कमी । कैदी मल-मूत्रकी बालटियाँ ढोते हैं । इनकार करनेसे कम खूराकपर तनहाईकी सजा मिलती है । प्रमुख मुसलमान, हिन्दू, पारसी जेलमें ।

गांधी
 

[ अंग्रेजीसे ]

गुजराती, १९-१२-१९०९

१. गांधीजीके सबसे बड़े पुत्र ।

२. बम्बईके साप्ताहिक गुजरातीके विवरणके अनुसार यह तार गांधीजीने प्रो० गोखलेको भेजा था। गांधीजीको ३० नवम्बरको केपटाउन पहुँचनेपर दानके बारेमें उनका तार मिला था। देखिए 'पत्र: गो० कृ० गोखलेको ', पृष्ठ १०० ।

३. रतनजी जमशेदजी टाटा (१८७१-१९१८), प्रमुख भारतीय उद्योगपति और दानी; १९१२ में 'टाटा आयरन ऐंड स्टील वक्र्क्स' की स्थापनाकी; १९१६ में 'सर' की उपाधि पाई ।


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