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उत्तर : 'स्टार' को

वह बहुत ही सीमित अर्थमें खुली है। इस प्रकार सिद्धान्तसे हटकर चलना दुर्भाग्यपूर्ण है, किन्तु न तो यह मक्कारी है, न छल-कपटसे भरा हुआ, क्योंकि यह खुले तौरपर किया जा रहा है और चाहे सही हो, चाहे गलत, यह एक प्राशासनिक आवश्यकताके रूपमें किया जाता है । आस्ट्रेलिया, नेटाल और अनेक दूसरे उपनिवेशोंमें वैसा ही कानून है जैसा ब्रिटिश भारतीयोंने ट्रान्सवाल-सरकारकी मंजूरीके लिए प्रस्तुत किया है; और यद्यपि उक्त उपनिवेश ब्रिटिश भारतीयोंको अपने यहाँ न आने देनेके लिए शैक्षणिक जाँचका बड़ा कारगर उपयोग करते हैं, फिर भी इस कारण हम उनपर यह आरोप नहीं लगा सकते कि उनका व्यवहार शंकास्पद है। उनके कानूनमें किसी राष्ट्रके अपमानकी बात नहीं है; और कौन कह सकता है कि उपनिवेशकी विधि- संहिताको द्वेषके कलंकसे बचा रखना नगण्य है। यदि प्रशासनमें भेदभाव है तो वह केवल पूर्वग्रहको तरजीह देने और दक्षिण आफ्रिकाके गोरे निवासियोंकी सुनिश्चित नीतिके कारण ही होगा। किन्तु लॉर्ड ऍम्टहिलने अभी जो नवीनतम संशोधन प्रस्तुत किया है, उसमें मक्कारीके आरोपके लिए कोई गुंजाइश नहीं बचती। कानून स्पष्ट रूपसे कहेगा कि शैक्षणिक जाँचमें उत्तीर्ण होनेके बावजूद किसी भी वर्गके या कौमके प्रवासियोंकी संख्याको मर्यादित करनेका अधिकार सपरिषद् गवर्नरको होगा।

मुझे पूरा विश्वास है कि यदि दक्षिण आफ्रिका और विशेषतः ट्रान्सवालके लोग इस प्रश्नको समझ जायें, तो वे हमारी सरकारसे उस माँगको मंजूर करनेका आग्रह करेंगे जिसके लिए मेरे देशवासी सघर्ष कर रहे हैं ।

इस बीच सरकार सत्याग्रहियोंकी दशा लगभग असहनीय बनाती जा रही है। दक्षिण आफ्रिकाके महान् भारतीयों में से एकको, उनके कमजोर स्वास्थ्यके बावजूद, डीपक्लूफमें वह खास खुराक नहीं दी जा रही है जो फोक्सरस्ट और हॉटपूर्टके स्वास्थ्य अधिकारीके द्वारा उन्हें दी जाती थी। उन्हें सिर खुला रखनेपर बाध्य किया गया है; यद्यपि उन्हें इसमें धार्मिक आपत्ति है और उनकी पिछली तीन सजाओंमें इस आपत्तिको मान्य किया गया था। जोहानिसबर्गसे आनेपर उन्हें केवल हथकड़ियाँ ही नहीं, बल्कि बेड़ियाँ भी पहनाई गईं। किन्तु अगर मैं श्री रुस्तमजीको ठीक तरहसे जानता हूँ, तो मुझे भरोसा है कि उनकी निर्भीकताको दुनियाकी कोई चीज परास्त नहीं कर सकती । एक दूसरे भारतीयको' जो कभी साजेंट रहे हैं, मैलेकी बालटियाँ खाली करनेका काम सौंपा गया है। उन्हें इसपर आपत्ति है। मेरी अपनी जानकारीमें भी अबतक ऐसी झिझकका बहुत हद तक खयाल किया जाता रहा है। अब तथाकथित हुकम-उद्लीके कारण उनकी खूराक कम कर दी गई है और उन्हें काल-कोठरी दे दी गई है। उपनिवेशके नामपर क्या कुछ किया जा रहा है, इसका पता उपनिवेशको चलता रहे तो अच्छा रहेगा।

१. यू० एम० शेलत, देखिए खण्ड ५, पृष्ठ ३७८ ।

२. देखिए " भाषण : जोहानिसबर्गकी आम सभामें ", पृष्ठ ९३ ।

३. देखिए “श्री शेलतकी रिहाई ”, पृष्ठ ११५ ।


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