पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/१३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१८
भाषण: जोहानिसबंगकी आम सभमें
[ दिसम्बर ५, १९०९]
 

श्री गांधीने कहा कि उन्हें तथा श्री हाजी हबीबको अपने देशभाइयोंके बीच आकर और उन्हें इतनी अधिक संख्या में [ इकट्ठा हुआ ] देखकर अत्यन्त सन्तोष हो रहा है | यहाँ उनकी उपस्थिति और पार्क स्टेशनपर किये गये स्वागतसे यह आरोप सर्वथा गलत सिद्ध हो गया है कि अब इस संघर्षमें लोगोंकी दिलचस्पी घट गई है। श्री गांधीने ट्रान्सवाल-सरकारके प्रति इस बातके लिए कृतज्ञता प्रकट की कि उसने उन्हें और श्री हाजी हबीबको बेरोकटोक ट्रान्सवालमें आने दिया। उन्होंने कहा : इससे प्रकट होता है कि लड़ाई बगैर किसी अनावश्यक कटुताके मर्यादापूर्ण ढंगसे चलाई जा सकती है। फिर भी पिछले पाँच महीनोंकी घटनाओंसे पता चलता है कि लोगोंमें अब भी बहुत अधिक कटुता और रोष है। उन्होंने वीर युवक नागप्पनकी मृत्युका, जिसने इस लड़ाईमें अपने प्राण अर्पित कर दिये, उल्लेख किया और कहा कि हजारों मेजर डिक्सन आ जायें तो भी वे उनके दिलपर पड़ी यह छाप नहीं मिटा सकते कि नागप्पन एक शहीदकी मौत मरा है। समाजके जबरदस्त हितू महान् रुस्तमजी अभीतक जेलमें हैं। उनका स्वास्थ्य काफी गिर गया है। स्वनाम धन्य इमाम अब्दुल कादिर बावजीर भी कारावास भोग रहे हैं। इसी प्रकार हिम्मतके धनी सोराबजी और अन्य वीर भारतीय भी जेलोंमें ही पड़े हैं। श्री शेलतको काल-कोठरीमें रखा गया है और उनकी खूराक कम कर दी गई है, क्योंकि उन्होंने मल-मूत्रकी बालटियाँ उठाने से इनकार किया था। ये बातें ऐसी हैं, जिनसे बहुत कटुता और खीझ उत्पन्न हुए बिना नहीं रह सकती। लोग कहते हैं कि समाजमें कमजोरी आ गई है। यह बिलकुल सच है कि कुछ लोग हार मान बैठे हैं। परन्तु यह उनका दोष नहीं । मानव-स्वभाव ही ऐसा है कि लोग एक बड़ी संख्या में काफी लम्बे समय तक कष्ट-सहन नहीं कर सकते।

१. यह सभा शिष्टमण्डलके सदस्योंके इंग्लैंडसे लौटनेपर उनका स्वागत करने के लिए जोहानिसबर्गकी इमीदिया मस्जिदके मैदान में शामको ४ बजे हुई थी । इसमें १,५०० से अधिक भारतीय उपस्थित थे । इसमें बॉक्सवर्ग, जर्मिंस्टन, क्रूगर्सडॉर्प, हाइडेलवर्ग और रैंडके अन्य नगरोके प्रतिनिधि, कई चीनी मित्र और सर्वश्री वोंगल तथा कैलेनबैंक भी शामिल थे। दूर-दूरके कई जिलोंसे तार आये थे । 'ब्रिटिश भारतीय संघ' के अध्यक्ष, श्री अ० मु० काछलिया उसके सभापति थे । उन्होंने कहा: "इंग्लैंड और भारतको शिष्टमण्डल भेजनेके परिणामस्वरूप हमारे संघर्षको विश्वव्यापी प्रतिष्ठा प्राप्त हुई है। "

६-१२-१९०९ के रैंड डेली मेलमें इसका समाचार भी प्रकाशित हुआ था ।

२. नागप्पनकी मृत्यु के सिलसिले में लगाये गये आरोपोंकी जाँच करनेके लिए प्रिटोरिया के सहायक रेजिडेंट मैजिस्ट्रेट, मेजर एफ० जे० डिक्सनको कमिश्नर नियुक्त किया गया था। देखिए खण्ड ९, पृष्ठ २९८, ३६० तथा ४८४ ।


Gandhi Heritage Portal