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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इमाम साहब,' श्री रुस्तमजी, इत्यादि हमारी खातिर जेलमें हैं। उनको जेलमें रखकर हम कमजोर बनें अथवा अन्य प्रकारसे जो मदद करनी चाहिए वह न करें तो यह निस्सन्देह हमारे लिए शर्मकी बात है।

[ गुजरातीसे ]

इंडियन ओपिनियन, ११-१२-१९०९

२०. प्रस्ताव : जोहानिसबर्गको आम सभामें
दिसम्बर ५, १९०९
 

१. ब्रिटिश भारतीयोंकी यह सभा सर्वश्री हाजी हबीब और गांधीका स्वागत करती है और उनके वक्तव्य सुननेके पश्चात् उनके कार्योंका समर्थन करती है और उन्हें अपने मिशनको साहस, धैर्य और संयमके साथ निभानेके लिए बधाई देती है।

२. ब्रिटिश भारतीयोंकी यह सभा लॉर्ड ऍम्टहिल और दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिके उनके साथी सदस्योंके प्रति इस बातके लिए आदर व्यक्त करती है और उन्हें धन्यवाद देती है कि उन्होंने प्रतिनिधियोंका पथ-प्रदर्शन किया और उन्हें अपने परिपक्व अनुभवका लाभ दिया ।

३. ब्रिटिश भारतीयोंकी यह सभा अपने इस इरादेका ऐलान करती है कि जबतक प्रवासके विषयमें कानूनी और सैद्धान्तिक तौरपर सुसंस्कृत भारतीयोंको दूसरे प्रवासियोंके साथ फिरसे समानताका दर्जा नहीं दिया जाता तबतक हम जेल जाकर या दूसरे कष्ट उठाकर भी अपना संघर्ष बराबर जारी रखेंगे।

४. ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी यह सभा सरकार और यूरोपीय उप- निवेशियोंसे प्रार्थना करती है कि वे संघर्षके समूचे साम्राज्यपर पड़नेवाले प्रभावके सम्बन्ध में विचार करें और इस तथ्यको ध्यान में रखते हुए कि ब्रिटिश भारतीयों की माँगके अन्तर्गत भारतीयोंके प्रवासपर कड़ा नियन्त्रण रखनेके औपनिवेशिक आदर्शकी पूरी रक्षा होती है, यह देखें कि हमारा समाज जो भयानक कष्ट सहन कर रहा है, उसे न्याय द्वारा समाप्त किया जाये ।

५. ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीयोंकी यह सभा साम्राज्य सरकार और भारत- सरकारसे इस बातका खास खयाल रखनेकी प्रार्थना करती है कि हमारा समाज लम्बे अरसेसे जिस अन्यायकी शिकायत करता आ रहा है वह एक राष्ट्रीय अपमान है तथा उसके और अधिक समय तक बने रहनेसे ब्रिटिश साम्राज्यकी प्रतिष्ठाको धक्का लगनेकी पूरी आशंका है, इसलिए वे इस अन्यायका अन्त कराने के लिए अपने मैत्रीपूर्ण प्रयत्नोंका उपयोग करें ।

१. इमाम अब्दुल कादिर बावज़ीर; देखिए पिछला शीर्षक ।

२. गांधीजी इस सभामें उपस्थित थे और उन्होंने इसमें भाषण दिया था; देखिए पिछला शीर्षक ।

अनुमानतः इन प्रस्तावोंका मसविदा गांधीजीने ही तैयार किया था ।


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