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पत्र: ए० एच० वेस्टको

मान चुकी है। हजुरासिंह, लाल और बहादुरसिंह वाजा और छः अन्य निर्वासन के खयालसे गिरफ्तार कर लिये गये हैं । उसके मामले स्थगित कर दिये गये है। जेड रैड डेली मेल ' और ' ट्रांसवाल लीडर ' ने सिफारिस की है की हमारी मांगे स्वीकार कर ली जाए ।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडिया, २८-१-१९१०

३१. उपनिवेश-सचिवके नाम पत्रका सारांश'
[ जोहानिसबर्ग
 
दिसम्बर २३, १९०९]
 

ब्रिटिश भारतीय संघ के अध्यक्ष, श्री अ० मु० काछलियाने उपनिवेश-सचिवको एक पत्र लिखा है। उसमें वे कहते हैं कि विनियम' (रेगुलेशन्स) अनावश्यक, अपमानजनक और खीझ उत्पन्न करनेवाले हैं। समितिकी विनम्र रायमें ये विनियम सरकार द्वारा बार-बार की गई इस घोषणाके विपरीत हैं कि उसका अधिवासी ब्रिटिश भारतीयोंकी भावनाओंको ठेस पहुँचाने या उनकी गतिविधियोंमें हस्तक्षेप करनेका कोई इरादा नहीं है।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, १-१-१९१०

३२. पत्र : ए० एच० वेस्टको
शुक्रवारी रात
 
[ दिसम्बर २४, १९०९]
 

प्रिय वेस्ट,

'मर्क्युरी' के नाम आप और जोजेफ, दोनोंके ही पत्र बहुत अच्छे हैं। यदि सम्भव हुआ, तो मैं उन्हें नटेसन [ की पत्रिका ] के लिए रखना चाहूँगा ।

वेतन देनेके लिए यदि पर्याप्त पैसा नहीं है, तो ट्रस्टका मैनेजर होनेके नाते मुझे इसका बन्दोबस्त करना ही चाहिए। जो भी हो, सारी जायदाद वेतनोंकी अदायगीके

१. इस पत्रका मूल पाठ, जिसे अनुमानतः गांधीजीने तैयार किया था, उपलब्ध नहीं है ।

२. रेलवेके विनियम, १७-१२-१९०९ को गज़टमें प्रकाशित हुए थे ।

३. जोजेफ रायप्पनका पत्र नेटाल मर्क्युरी, २२-१२-१९०९ में प्रकाशित हुआ था और इंडियन ओपिनियन, १-१-१९१० में उद्धृत किया गया था ।

४. जी० ए० नटेसन, सम्पादक, इंडियन रिव्यू, मद्रास ।

५. ट्रस्टके दस्तावेजका यह मसविदा उपलब्ध नहीं है, ट्रस्टके दस्तावेजके लिये देखिये खण्ड ९ ।

फीनिक्सकी योजनाके बारे में कुछ जानकारीकी बातें “ पत्र : ए० एच० वेस्टको” शीर्षकवाले पत्रमें दी गई हैं। देखिए पृष्ठ १११-११३ ।



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