पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/१५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३६ श्री शेलतकी रिहाई

छः महीनेकी सजा भोगनेके बाद श्री शेलत तारीख २४ दिसम्बरको डीपक्लूफ जेलसे छोड़ दिये गये । उनका वजन १३९ से घटकर ११० पौंड रह गया था; वे दुबले और कमजोर दिखाई देते थे। इस पत्रके पाठकोंको स्मरण होगा कि मैलेकी बाल्टियाँ उठानेसे इनकार करनेपर उन्हें तनहाई और कम खुराककी सजा दी गई थी। हमारी राय है कि सत्याग्रहियोंको ट्रान्सवालकी जेलोंमें नीचेसे-नीचा काम भी करनेसे इनकार नहीं करना चाहिए। परन्तु श्री शेलतने जो ब्राह्मण हैं, इस मामलेको अन्तरात्माका प्रश्न बना लिया। इसलिए उनकी आपत्तिका हम आदर ही कर सकते हैं। इस आज्ञाका उल्लंघन करनेपर उन्हें पहले चौबीस घंटेकी तनहाई और घटी हुई खूराककी सजा दी गई। परन्तु श्री शेलत इससे विचलित नहीं हुए। दूसरी बार उन्हें उसी खूराकके साथ अड़तालीस घंटेकी तनहाईकी सजा दी गई। परन्तु इसका भी कोई असर नहीं हुआ। तीसरी बार उसी खूराकके साथ तनहाईकी सजा छः दिनकी कर दी गई। पर श्री शेलत दृढ़ रहे । कम खुराकका मतलब था, दिनमें केवल दो बार चावलका मांड देना । इसका उनके स्वास्थ्यपर प्रभाव पड़ा । परन्तु श्री शेलत अपनी अन्तरात्माके लिए मरने तक की ठान चुके थे। उन्हें फिर १४ दिनकी तनहाई और कम खुराककी सजा दी गई। अबके, कम खुराकका मतलब था, आधी खूराक । परन्तु लगभग अंधेरी कोठरीमें तनहाईकी इतनी लम्बी सजा भी सत्याग्रहीको नहीं झुका सकी। इसलिए उन्हें अन्तिम बार अट्ठाईस दिनकी सजा दी गई। इससे उनकी सजा छः महीनेसे नौ दिन ऊपर हो जाती थी। परन्तु अधिकारियोंने उन्हें नौ दिन और रोके बिना छोड़ दिया। यह एक ऐसा पराक्रम है जो सत्याग्रहके इतिहास में सदा उज्ज्वलतम रहेगा। हम श्री शेलतको उनके साहसपर बधाई देते हैं। उन्होंने ट्रान्सवालकी सरकारको दिखा दिया कि हमारे बीच कुछ भारतीय ऐसे हैं जो अन्तरात्माकी साक्षीका प्रश्न उपस्थित होनेपर कभी इस बातसे नहीं डरते कि परिणाम क्या होगा। श्री शेलतको जो सजा दी गई वह केवल बहुत पक्के अपराधियोंको ही दी जाती है । यह सजा श्री शेलतको देना और उन्हें आधा भूखा रखना घोर निर्दयता थी । परन्तु जो इस लड़ाईके मर्मको जानते हैं उनसे हम जोरके साथ यही कहेंगे कि चाहे कितने ही कष्ट हों जरा भी परवाह मत करो। जितना ही आप कष्ट सहेंगे, आपके और कौमके लिए उतना ही अच्छा है।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, १-१-१९१०
 

१. देखिए “ भाषण : जोहानिसबर्गकी आम सभा ", पृष्ठ ९३ ।


Gandhi Heritage Portal