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स्वतन्त्रता

श्री गांधीने एक मुल्लाका और एक दूसरे ब्रिटिश भारतीयका उदाहरण दिया और कहा : मुल्लाका पालन-पोषण सुखमें हुआ है; किन्तु वे डीपक्लूफकी जेलमें तीसरी बार सजा भुगत रहे हैं। दूसरे ब्रिटिश भारतीय एक प्रमुख पारसी सज्जन हैं। उन्होंने एक समृद्ध व्यवसायकी बलि दी है। वे अगले महीनेकी ११ तारीखको १२ महीनेकी लगातार कैदकी सजा पूरी कर चुकेंगे । उनको पहले ६ महीनेकी कैद की सजा दी गई थी। किन्तु उन्होंने रिहाईके बाद तुरन्त फिर सीमा पार की और कैदकी सजा पाई। श्री गांधीने (अध्यक्ष द्वारा निवेदन किये जानेपर) बताया कि उन्होंने अपने १७ वर्षीय पुत्रको' उपनिवेशमें गिरफ्तार होनेके उद्देश्यसे प्रवेश करनेकी अनुमति क्यों दी। उन्होंने कहा : लड़केने बार-बार अपने देशवासियोंके सम्मानपूर्ण कष्ट सहनमें भाग लेनेकी इच्छा प्रकट की थी, इसलिए मैंने अन्तमें यह अनुभव करते हुए उसको स्वीकृति दे दी कि वह जेलमें जाकर उस जगहकी बुराइयां न सीखेगा । वह वहाँ किसी भी अर्थ में अपराधीके रूपमें नहीं जायेगा ( तालियाँ ) बल्कि अपनी ही जातिके पीड़ित लोगों में और वतनी कैदियोंमें, जिनके वर्गमें वह रखा जायेगा, एक सेवाभावीके रूपमें जायेगा । (जोरकी तालियाँ) । मैं यह अनुभव करता हूँ कि अनाक्रामक प्रतिरोधी न्यायकी खातिर जो दुःख इख्तियार कर रहे हैं उससे जहाँतक उनका सम्बन्ध है, जेल जानेमें अपराधकी गंध भी नहीं बची है। मेरा विश्वास है कि ईश्वरकी देखरेखमें अब भी उनके साथ न्याय होगा और उनके उद्देश्यकी जीत होगी। (जोरकी तालियाँ ) *

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, १५-१-१९१०

स्वतन्त्रता इसमें है कि हम दूसरोंकी इच्छा और अन्तरात्माके बजाय अपनी ही इच्छा और अन्तरात्माका अनुसरण कर सकें। -- - लॉर्ड हयू सेसिलके एडिनबरा विश्वविद्यालयकी असोसिएटेड सोसाइटीजमें दिये गये भाषणसे ।

ट्रान्सवालमें आजकल जो संघर्ष चल रहा है, उसे अक्सर स्वतन्त्रताकी लड़ाई कहा गया है। ऊपर जो परिभाषा दी गई है उसके अनुसार उसे देखें तो कहना होगा कि हमारे देशभाई ट्रान्सवालमें सचमुच स्वतन्त्रताकी लड़ाई लड़ रहे हैं और

१. इमाम अब्दुल कादिर बावजीर ।

२. पारसी रुस्तमजी ।

३. मणिलाल गांधी ।

४. इस स्वास्थ्य कामनाका उत्तर रायप्पनने दिया। इसके बाद काछलियाने अपने जेलके अनुभव बताये और डी० डब्ल्यू० डू बोले । उन्होंने कहा कि जो लोग महान नैतिक और आध्यात्मिक सिद्धान्तोंके पक्षपाती हैं वे अजेय हैं ।


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