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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्बन्ध है, वे अपने हाथ-पैरोंसे काम करते रहेंगे और अपनी बुद्धिका उपयोग अपनी जन्म भूमि और मातृभूमिकी सेवाके लिए करेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, १५-१-१९१०

५८. हॉस्केनकी सभा

श्री जोजेफ रायप्पन वगैराको जिस समारोहमें प्रीतिभोज दिया गया उसका विवरण हम दूसरी जगह दे रहे हैं। उसमें लगभग ४० यूरोपीय उपस्थित थे और इनमें काफी जाने-माने व्यक्ति थे । श्री हॉस्केन तथा 'ट्रान्सवाल लीडर' के सम्पादक और आरेंज फ्री स्टेटकी कौंसिलके सदस्य श्री डूने जो कहा वह जानने योग्य है। भोजमें प्रसिद्ध पादरी भी थे । और सत्याग्रहके प्रति हरएककी सहानुभूति थी । इतने गोरे बेहिचक एक ही मेजपर भारतीयोंके साथ भोजन करने बैठे यह बड़ी सन्तोषजनक बात है। हमारे कहनेका यह अभिप्राय नहीं है कि जब गोरे हमसे मिलेंगे-जुलेंगे तभी कुछ होगा; फिर भी जब ट्रान्सवाल-सरकारके खिलाफ हम संघर्ष कर रहे हैं उस समय इतने गोरोंके भोजमें शामिल होनेसे हमें सन्तोष होना ही चाहिए । यह अच्छा लक्षण है। इससे हम समझ सकते हैं कि संघर्षका अन्त निकट ही है। किन्तु यदि अन्त आता हुआ न लगे तो भी इसमें शक नहीं है कि गोरोंकी सहानुभूति हमारी तरफ बढ़ती जाती है। अब शेष केवल यही है कि भारतीय समाज फिरसे जाग उठे और फेरीवाले अपना कर्तव्य करें।

[ गुजरातीसे ]

इंडियन ओपिनियन, १५-१-१९१०

५९. नेटालका प्रवासी कानून

इस कानूनका अमल अन्धाधुन्धीसे हो रहा है। श्री स्मिथ अत्याचार कर रहे हैं; और उन अत्याचारोंका मुकाबला करना जरूरी है; किन्तु यह देखना भी जरूरी है कि खुद हमारे बीच कितनी अन्धाधुन्धी चल रही है। हम अपने-आपपर कितना अत्याचार करते हैं। श्री स्मिथ कहते हैं कि लड़के औरतोंकी पोशाकमें आते हैं और कुछ लड़के अपने फरजी माँ-बाप और कुछ औरतें फरजी पति खड़े कर देती हैं । हमारा खयाल है कि प्रवेश सम्बन्धी अत्याचारका विरोध दो प्रकारसे किया जा सकता

१. देखिए “भाषण : जोज़ेफ रायप्पन और अन्य मित्रोंको दिये गये भोजमें”, पृष्ठ १२६-२७ ।

२. हैरी स्मिथ, मुख्य प्रवासी प्रतिबन्धक अधिकारी ।

३. अभिप्राय भारतीयों द्वारा की गई शिफायतोंके जवाबसे है। ये शिकायतें नेटाल मर्क्युरीने टीकाके लिए श्री स्मियके पास भेजी थीं। शिकायतें तथा उनका जवाब साथ-साथ एक ही अंकमें प्रकाशित किये गये थे ।



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