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६४. उद्धरण : मध्य दक्षिण आफ्रिकी रेलवे के महाप्रबन्धकको भेजे गये पत्रसे

[ जनवरी २५, १९१० के बाद ]

पॉचेफस्टुमके श्री उस्मान लतीफ उसी स्टेशनसे यात्रा कर रहे थे। पाँच अन्य ब्रिटिश भारतीय भी उनके साथ थे। उनमें से चार डेलागोआ-बे जा रहे थे। उन्हें गाड़ीमें साधारण दूसरे दर्जेका आधा डिब्बा दिया गया था जिसमें मुश्किलसे चार यात्री बैठ सकते थे। डेलागोआ-बेके यात्रियोंके साथ उनका सामान भी था। श्री उस्मान लतीफने गार्ड या कन्डक्टर नं० ११ से कहा कि उन्हें और स्थान चाहिए; परन्तु गार्ड या कंडक्टर कोई स्थान ढूंढ़ न सका। श्री लतीफने बताया कि कई डिब्बे हैं जिनमें उनके लिए स्थान मिल सकता है; परन्तु कंडक्टरने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया और श्री लतीफको खड़ा रहना पड़ा । लेकिन क्रूगर्सडॉप में कंडक्टरने उन्हें एक दूसरा डिब्बा बताया। श्री लतीफने उसमें जानेसे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे इस मामलेकी ओर आपका ध्यान आकृष्ट करेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २९-१-१९१०

६५. पत्र : मगनलाल गांधीको

गुरुवार [ जनवरी २७, १९१०]

चिरंजीव मगनलाल,

तुम्हारा पत्र मिला। श्री कॉडिसके बारेमें जो तुमने लिखा है सो मैं समझता हूँ । मैं यह भी मानता हूँ कि मेरी अपेक्षा तुम्हें उनके दोष अधिक दिखाई दे सकते हैं। परन्तु मेरा कहना यह है कि इन दोषोंके होते हुए भी वे आदमी अच्छे हैं। उनके गुणोंकी ओर ही ध्यान देना । इस सम्बन्धमें अधिक बातें मिलनेपर होंगी । १. अनुमान है कि यह उद्धरण गांधीजीके लिखे पत्रका है, जो अ० मु० काछलियाके हस्ताक्षरोंसे भेजा गया था और इंडियन ओपिनियन, २९-१-१९१० में “ट्रान्सवालकी टिप्पणियों" के अन्तर्गत छपा था । २. सेन्ट्रल साउथ आफ्रिकन रेलवे । ३. पत्रके विषयसे ऐसा प्रतीत होता है कि यह मगनलाल गांधीको, २०-२-१९१० को लिखे गये पत्रके बाद गुरुवारको लिखा गया था। देखिए पृष्ठ १३९-४० १०-१०