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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

बाहरसे खाना न मँगाना चाहिए और जब जेलका बुलावा आये तब भी उन्हें बिलकुल तैयार ही रहना चाहिए। सरकार जिनको कमजोर देखती अथवा कमजोर समझती है उन्हींको अधिक कष्ट देती है और ऐसा मानकर ही मुकदमोंको लम्बा भी करती है । इस बातको ध्यानमें रखकर जो ठीक तरह सेवा करना चाहते हैं - जो पूरा कष्ट- सहन करना चाहते हैं, उन्हें अपना जोर पूरी तरह दिखा देना चाहिए ।

कैदियोंसे मुलाकात

मुझे पिछले रविवारको कुछ सत्याग्रहियोंसे मिलना था। इस सम्बन्धमें पूछताछ करनेपर पता चला कि जो मनुष्य एक बार भी जेल गया हो, वह कैदियोंसे नहीं मिल सकता। इससे प्रश्न उठा कि कौन मिलने जाये । अन्तमें श्री कैलेनबैक श्री हरिलाल गांधीसे, श्री आइज़क श्री सोराबजीसे, कुमारी इलेसिन श्री रुस्तमजीसे और श्री कोल श्री मेढसे मिले। खबर मिली है कि सभी सत्याग्रहियोंमें पूरा-पूरा उत्साह है। उक्त नियम एक नया अड़ंगा है। उसे अबतक अमलमें नहीं लाया जाता था । सरकारका इरादा यही है कि सत्याग्रहियोंके आपसी सम्बन्ध बिलकुल बन्द कर दिये जायें । परन्तु ऐसा करनेमें वह सर्वथा असमर्थ है। वह जितनी ज्यादा सख्ती करेगी, अगर हम मजबूत बने रहे, तो उतनी ही मुँहकी खायेगी। कैदियोंको मुलाकात मिली तो क्या और न मिली तो भी क्या ? जहाँ हमारी शक्तिकी परीक्षा ही होनी है, वहाँ काम जितना कठिन हो उतना ही अच्छा समझा जाना चाहिए ।

रंगूनसे सहायता

रंगूनसे २५० पौंडका चेक आया है। अभी कुछ और भी धन आनेकी सम्भावना है, यह वहाँकी ट्रान्सवाल सत्याग्रह कोष-समितिके मन्त्री डॉक्टर मेहताने लिखा है। मुझे चन्देकी रकमोंकी जाँच करनेसे मालूम हुआ है कि इसमें बहुत-से चीनी व्यापारियोंने भी चन्दा दिया है। रंगूनकी सभा प्रस्ताव पास किया गया है कि यह रुपया केवल दुखी और निर्धन सत्याग्रहियोंकी सहायताके लिए ही खर्च किया जाये ।

उक्त रुपयेको मिलाकर अबतक ३,९२३ पौंड ३ शिलिंग ४ पैंस आ चुके हैं। इसमें से २५० पौंडकी ऊपरकी रकम छोड़कर बाकी सब रकम प्रोफेसर गोखलेकी ओरसे श्री जहाँगीर बी० पेटिटने भेजी है। यह रुपया किस प्रकार एकत्र किया गया, इसका विवरण प्राप्त नहीं हुआ है, अर्थात् श्री रतन टाटाके २५,००० रुपये छोड़कर बाकी रकम किस प्रकार जमा हुई, अभी इसका विवरण आनेकी सम्भावना है।

कूगर्सडॉर्पकी बस्ती

गर्सडॉर्पकी बस्ती (लोकेशन ) से सम्बन्धित आयोगमें गोरे विचित्र बयान दे रहे हैं। वे कहते हैं कि बस्तीमें भारतीयोंके रहनेसे गोरोंको कठिनाई होती है; भारतीय चरित्रहीन हैं, वे गोरोंकी लड़कियोंको छेड़ते हैं, उनकी ओर बुरे हाव-भाव करते हैं और काफिरोंका आचरण बिगाड़ते हैं। इस प्रकार गवाहियोंमें अत्यन्त विवेकहीन बातें कही गई हैं। इसके विरुद्ध भारतीय निवासियोंकी ओरसे गवाहियाँ अवश्य दी जानी चाहिए। इस सम्बन्धमें क्रूगर्सडॉर्पके भारतीयोंको पूरी तैयारी रखनेकी जरूरत है। फिर उक्त


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