पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/२०३

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मुसलिम लीगका अधिवेशन १६३ शिकायतोंमें कुछ सचाई हो तो वैसी आदतोंसे बाज़ आना भी जरूरी है। यह बात बिलकुल झूठ तो नहीं है कि कुछ भारतीयोंका सम्बन्ध काफिर स्त्रियोंसे हो जाता है। यह सम्बन्ध मुझे तो भयंकर लगता है। इससे भारतीय बचें तो बहुत अच्छा हो । हृदयद्रावक घटना - श्री गांधीके कार्यालयमें श्रीमती अमाकनू और श्रीमती फकीरसामी नायडूने अपने सब आभूषण उतार दिये एवं लड़ाई समाप्त होने तक आभूषण न पहननेका प्रण लिया। उन्होंने कानोंकी बालियाँ, नाककी हीरा जड़ी लौंगें, गलेके हार, चूड़ियाँ और अंगूठियाँ - सभी आभूषण उतार डाले । जो हार उनको विवाहके समय मिले थे वे भी उन्होंने उतार दिये। यह घटना कोई मामूली घटना नहीं है। श्रीमती फकीरसामी नायडू ने कहा : "श्री फकीरसामी नायडूके जेष्ठ पुत्र जेल जानेवाले हैं और सम्भवतः श्री फकीरसामी स्वयं भी थोड़े दिनोंमें गिरफ्तार हो जायेंगे । इस स्थिति में आभूषण कैसे पहनूं ? यह कहकर उन्होंने गहने उतार डाले। "" [ गुजरातीसे ] इंडियन ओपिनियन, १२-२-१९१० ८१. मुसलिम लीगका अधिवेशन अखिल भारतीय मुसलिम लीगके अधिवेशनमें महाविभव आगा खाँने जो भाषण दिया हम उसके विषयमें टिप्पणी' दे चुके हैं। लीगमें जो प्रस्ताव पास हुए उनपर कुछ कहना आवश्यक है। हमारी मान्यता है कि लीगके प्रस्ताव बहुत जोरदार हैं और उनसे हमें उत्तेजन मिलेगा। उन प्रस्तावोंको देखने से जान पड़ता है कि श्री पोलकने सारे भारतमें शोर मचा दिया है। इन प्रस्तावोंपर वाइसरॉय और लॉर्ड मॉर्लेको ध्यान देना ही पड़ेगा। किन्तु क्या हम ध्यान देते हैं ? लीग ट्रान्सवालके भारतीयोंको 'दुख सहन करनेवाले शूरवीर' कहती है।' ऐसे शूरवीर कितने है? जिन्हें देशके लिए उत्साह है ऐसे सभी हिन्दुओं और मुसलमानोंको इसपर गम्भीर विचार करना चाहिए। यदि वे पूरा प्रयत्न करें तो यही नहीं कि संघर्ष जल्दी समाप्त होगा, बल्कि इससे भारतका मान बचेगा, देशकी नाक ऊँची होगी। ट्रान्सवालके भारतीयोंपर कोई छोटी-मोटी जिम्मेदारी नहीं है । [ गुजरातीसे ] इंडियन ओपिनियन, १२-२-१९१० १ और ३. देखिए “आगा खाँ और सत्याग्रह ", पृष्ठ १५५-५६ । २. “ दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयों द्वारा चलाये जानेवाले वीरता और देशभक्तिपूर्ण आन्दोलनकी प्रशंसा करते हुए" लीगने एक प्रस्ताव पास किया था और उसमें "भारत-सरकारसे गिरमिटिया मज़दूरोंके भेजे जानेपर प्रतिबन्ध लगाने का आग्रह किया था तथा साम्राज्यीय सरकार से हस्तक्षेप करनेकी अपील की थी ।" देखिए ५-२-१९१० के इंडियन ओपिनियन में उद्धृत रायटरका तार । Gandhi Heritage Portal