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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कोई रोग उत्पन्न हो गया है। लगातार धूपमें रहनेके कारण उनकी आँखें भी खराब हो गई हैं और अब उनमें हमेशा सुर्खी बनी रहती है। उनके पेटमें अगल-बगल सूजन आ गई है। मुझे लगता है कि यह बड़ी आँतको सूजनके कारण है; और उसीकी वजहसे उनको सदा कब्ज बना रहता है । उनको पेशाब भी देरमें और कष्टसे उतरता है ।

(हस्ताक्षर ) आर० एम० नानजी,
एम० आर० सी० एस० आदि

यह प्रमाणपत्र और पत्र - दोनों बिलकुल स्पष्ट हैं । इसलिए मेरी समिति श्री रुस्तमजीके बताये हुए तथ्योंकी ओर सरकारका ध्यान आकर्षित करना-भर पर्याप्त मानती है। श्री रुस्तमजीकी गिनती दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय समाजके अत्यन्त सम्माननीय व्यक्तियोंमें है। वे नेटाल भारतीय कांग्रेसके उपाध्यक्ष हैं। मेरी समितिको भरोसा है कि ट्रान्सवालकी सभ्य सरकार श्री रुस्तमजीके कष्टोंकी पुनरावृत्ति न होने देगी ।

डीपक्लूफ जेलसे हालमें ही छूटे श्री इमाम अब्दुल कादिर बावजीरको भी बड़े कष्ट हुए। वे बताते हैं कि एक बार उनको जोरका बुखार चढ़ा और वे चिकित्सा-अधिकारीको अपने बुखारकी सूचना देनेके लिए विवश हो गये । किन्तु चिकित्सा अधिकारीने उनके शरीरकी जाँच किये बिना ही उनसे कहा कि वे कामसे जी चुरा रहे हैं। लेकिन जब उन्होंने गुस्सेसे उसकी बातका खण्डन किया तब कहीं चिकित्सा अधिकारीने उनका बुखार देखा । बुखार १०४ डिग्री था । इससे चिकित्सा अधिकारी डर गया और उसने उन्हें जेलके अस्पतालमें रखवा दिया। श्री बावजीरका वजन २२ पौंड घट गया है और वे इतने कमजोर हो गये हैं कि उनको चलने-फिरनेमें भी तकलीफ होती है ।

श्री बावजीर बताते हैं कि अपर्याप्त भोजन और विशेषतः घी न मिलनेके कारण रोजाना दो औंस सेमें देनेपर भी अधिकतर सत्याग्रहियोंका वजन घट गया है। सादर निवेदन है कि भोजनमें चर्बीके बजाय घीके रूपमें चिकनाईका उपयोग फिर शुरू करनेसे लगातार इनकार किया जानेका अर्थ मेरा समाज यह लगाता है कि सरकार उपनिवेशके एशियाई - विरोधी कानूनके विरुद्ध अन्तःकरणकी साक्षीपर आपत्ति करने- वाले सत्याग्रहियों को इस प्रकार भूखों मारकर घुटने टेकनेपर विवश करना चाहती है। मैं एक बार फिर आपका ध्यान इस तथ्यकी ओर आकर्षित करता हूँ कि वतनी कैदियोंको खुराकमें रोजाना एक औंस चर्बी दी जाती है ।

श्री बावजीरने संघको यह भी खबर दी है कि कैम्ब्रिजके एक स्नातक (ग्रेजुएट) और बैरिस्टर, श्री जोज़ेफ रायप्पनको डीपक्लूफ जेलसे उनके तबादलेके समय तीन अन्य भारतीय कैदियोंके साथ खादकी गाड़ीमें ले जाया गया था और उनको दो मील तक नंगे पाँव और नंगे सिर चलनेके लिए मजबूर किया गया था । तवादलेके दिन उनको और उनके सहयोगी बन्दियोंको नाश्ता तक नहीं दिया गया। श्री रायप्पनने इसकी सूचना Gandhi Heritage Porta