पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/२१३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१७३
भाषण : काठियावाड़ आर्यमण्डलमें

गवर्नरको दी थी। उन्होंने इसकी जाँच कराई थी और श्री बावजीरका खयाल है कि यह आश्वासन भी दिया था कि ऊपर बताई गई गलतियाँ भविष्यमें नहीं होंगी। फिर भी, मेरी समिति यह कहे बिना नहीं रह सकती कि जिस व्यवस्थाके अन्तर्गत इतनी गम्भीर गलतियाँ हो सकती हैं, उसमें रद्दोबदल करना नितान्त आवश्यक होना चाहिए।

मेरी समिति आशा करती है कि यहाँ जिन विभिन्न विषयोंकी ओर सरकारका ध्यान आकर्षित किया गया है, उनपर उचित विचार किया जायेगा।

आपका, आदि,
अ० मु० काछलिया
अध्यक्ष,
ब्रिटिश भारतीय संघ

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ५-३-१९१०
 

९२. भाषण : काठियावाड़ आर्यमण्डलमें

[डर्बन
फरवरी २३, १९१०]

काठियावाड़ आर्य-मण्डलको एक बैठक इसी महीनेकी २३ तारीखको बीट्रिस स्ट्रीट, डर्बनमें हुई। इसका उद्देश्य सर्वश्री पारसी रुस्तमजी, शाह और शेलतसे मिलना- जुलना था ।...

श्री गांधीने, जो उपस्थित थे, सभामें भाषण दिया। उन्होंने संघर्षका स्वरूप समझाया और कहा : "मैं नेटाल इसलिए आया हूँ कि जो लोग संघर्ष में सम्मिलित होना चाहें उन्हें इसके लिए आमन्त्रित करूँ ।"

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २६-२-१९१०