पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/२१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

________________

९३. तार : द० आ० ब्रि० भा० समितिको

[ जोहानिसबर्ग ]
फरवरी २५, १९१०

हमीदिया अंजुमनके अध्यक्ष, धर्मगुरु, इमाम बावजीर रिहा, सेहत बहुत गिरी, तबादले के कमजोर । वे बताते हैं, रायप्पन डीपक्लूफ दौरान नंगे सिर, नंगे पैर पैदल चलाये गये । रुस्तमजी रिहा, दुर्बल दिखाई देते हैं; गम्भीर आरोप लगाते हुए अखबारोंको पत्र लिखा है; रिहाईके बाद डॉक्टरी परीक्षा, प्रमाणपत्रके अनुसार हृदय, आँख प्रभावित । तीससे ऊपर चीनी, लगभग चालीस भारतीय जेल में । मणिलाल निर्वासित, फिर सीमा पार करनेपर तीन महीने की कड़ी कैद ।' बिना घीकी भोजन तालिका जारी रहनेसे क्षोभ । पी० के० नायडू बुधवारको रिहा, फिर तुरन्त गिरफ्तार, तीन महीने की कड़ी कैद ।

[अंग्रेजीसे]
इंडिया, ४-३ - १९१०; और दक्षिण आफ्रिकी ब्ल्यू-बुक, संख्या ५११९ से ।

९४. सत्याग्रहियोंको भूखों मारना

भारतीय कैदियोंकी आहार-तालिकामें फेर-फार किये गये हैं। ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय संघने एक पत्र लिखकर सरकारसे इसके काफी न होनेकी शिकायत की है । इसपर श्री स्मट्सने जो तफसील दी है उसे हम खास बात यह है कि इसमें कुछ तथ्य छोड़ दिये हैं। यह उस विशेष तर्कका उदाहरण है जिससे उचित सिद्ध करनेका प्रयत्न किया जाता है । अन्यत्र छाप रहे हैं।' इस तफसीलमें गये हैं और कुछ करीब-करीब गलत वर्तमान अनुचित आहार-तालिकाको

तीसरे अनुच्छेद में कहा गया है कि आहार तालिकामें परिवर्तन करनेका हेतु यह था कि कैदियोंकी “आहार तालिकामें घी और पिसा मसाला शामिल करके उसे करीब- करीब भारतीयोंमें प्रचलित आहार जैसा बना दिया जाये।" इसमें कहा गया है कि इस परिवर्तनसे पहले कैदियोंको घी नहीं दिया जाता था । परन्तु सचाई यह है कि जोहानिस- बर्ग, फोक्सरस्ट और अन्य कई जेलोंमें भारतीय कैदियोंको प्रतिदिन एक औंस घी दिया १. ट्रान्सवाल ब्रिटिश भारतीय संघके मन्त्री द्वारा दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समिति, लन्दनको भेजा गया । २, ३ और ४. देखिए “ पत्र : उपनिवेश सचिवको”, पृष्ठ १७१-७३ । ५. २१-२-१९१० को । ६. देखिए "अनाक्रामक प्रतिरोधी कैदी", इंडियन ओपिनियन, २६-२-१९१० ।