पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/२१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

________________

९७. केपके रंगदार लोग

युवराज (प्रिंस ऑफ वेल्स) के आगमनके उपलक्ष्य में केप टाउनकी नगरपालिका परिषद् ( म्युनिसिपल कौंसिल) ने १,५०० पौंड खर्च करनेका प्रस्ताव पास किया है । जब इस प्रस्तावपर मत लिए जा रहे थे तब परिषद् के सदस्य डॉक्टर अब्दुर्रहमानने, बहुत कटु भाव व्यक्त किये। 'युवराज' के आगमनके दिन ये सुयोग्य डॉक्टर शोक मनायेंगे । वे 'परमात्मा राजाकी रक्षा करें' (गॉड सेव द किंग) गीत नहीं गायेंगे । वे सब रंगदार लोगोंको भी उसी प्रकार उत्सवसे अलग रहनेकी सलाह देते हैं । उनके क्रोधके इस तरह भड़कनेका कारण स्वाभाविक और उचित है । दक्षिण आफ्रिका अधिनियम में रंगदार लोगोंको आंशिक रूपसे मताधिकारसे वंचित कर दिया गया है। इसका हजारों रंगदार लोगोंके दिलोंपर बड़ा गहरा असर हुआ है । उनके लिए इस सन्निकट उत्सव में भाग लेना निश्चय ही हास्यास्पद और दिखावेकी बात होगी । यह निरा ढोंग होगा ।

यह पूछा जा सकता है कि डॉक्टर अब्दुर्रहमानने जो भाव प्रकट किये हैं क्या वे राजनिष्ठासे मेल खाते हैं ? 'राजनिष्ठा' शब्दका बड़ा दुरुपयोग हुआ है । एक कायर या गुलामकी राजनिष्ठासे वह निश्चय ही असंगत होगा । परन्तु हम मानते हैं कि एक स्वतन्त्र मनुष्य - एक बुद्धिमान और स्वाधीन मनुष्य- - हमारा खयाल है कि डाक्टर अब्दुर्रहमान ऐसे ही मनुष्य हैं, सम्राट्के प्रति राजनिष्ठा रखते हुए भी इस उत्सवमें भाग लेनेसे इनकार कर सकता है, क्योंकि राजनिष्ठा तो एक आदर्श है और इस उत्सवसे उन सब लोगोंका अपमान होता है जो सबकी सहमतिसे अधिक अच्छे व्यवहारके पात्र हैं । हमारा खयाल है कि अपने भावोंको हिम्मतके साथ प्रकट करके डॉक्टर अब्दुर्रहमानने वातावरणको झूठ और ढोंगसे मुक्त करके स्वच्छ बना दिया है और इस तरह सत्य, सम्राट्, अपने समाज और खुदकी एक साथ सेवा की है। संयोगकी बात है कि ठीक इसी समय जोहानिसबर्ग में रंगदार लोगोंकी एक सभामें जोरदार भाषामें यही बात कही गई है । अनेक वक्ताओंने अपने भाषणोंमें कहा कि अगर अधिकारियोंने अनुचित रुख दिखाया तो वे सत्याग्रह करेंगे। हम डॉक्टर अब्दुर्रहमानको उनके इस कार्यपर बधाई देते हैं और आशा करते हैं कि वे समय आनेपर अपने कार्यक्रमके अनुसार चलनेका साहस करेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २६-२-१९१०

१. २१-२-१९१० की बैठकमें; देखिए " अब्दुर्रहमानका गुस्सा ", पृष्ठ १७९ । २. यह सभा १६-२-१९१० को हुई थी; देखिए “रंगदार जातियोंका संघर्ष ", इंडियन ओपिनियन, २६-२-१९१० 1 १०-१२ Gandhi Heritage Portal