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भाषण : डर्बन भारतीय समिति में
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संकल्प किया है, चाहे उन्हें कितना ही कष्ट दिया जाये । ट्रान्सवाल- सरकारने जुर्माने वसूल करनेके लिए एक चालाकी-भरी कार्रवाईका सहारा लिया है। वह मकानों, सामान, पलंगों और चीनीके बर्तनोंको कुर्क कर लेती है । परन्तु इससे भारतीय अपने मार्गसे विचलित नहीं हो सकते और बॉक्सबर्गके भारतीयोंका, जिन्होंने अपनी सारी सम्पत्तिसे हाथ धोना और जेल जाना पसन्द किया है, निश्चय उनकी सचाईका पर्याप्त प्रमाण हैं। उन्होंने कुछ पत्र पढ़े जो उन्हें देशबन्धु पी० के० नायडूसे प्राप्त हुए थे और सार्वजनिक लाभके थे । उन्होंने श्री नायडूके वीरतापूर्ण रुखका उल्लेख किया जो बार-बार जेल भेजे जानेपर भी कायम रहा है और कहा कि उनका कार्य अनुकरणीय है। उन्होंने यह भी कहा कि संघर्ष केवल पुरुषों तक ही सीमित नहीं रहा है, वरन् उसमें स्त्रियोंने भी बहुत दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने अपने पतियोंको एक ऐसे राष्ट्रीय संघर्ष में हिस्सा लेनेकी अनुमति दी है जो निष्पक्षता और और न्यायका भी संघर्ष है । यह एक ऐसा काम है जो स्त्रियोंके वीरत्वका प्रमाण है । इन स्त्रियोंने भी अकथनीय कष्ट झेले हैं । फिर उन्होंने भारतसे प्राप्त एक तार पढ़ा जो नेटालको गिरमिटियोंका भेजा जाना रोकनेके सम्बन्धमें था । तारमें यह कहा गया था कि यदि ट्रान्सवाल और नेटालकी सरकारें भारतीयोंके प्रति दुर्व्यवहार बन्द कर और स्वयं गिरमिटियोंसे भी अच्छा सलूक करें तो गिरमिट फिर जारी की जा सकती है। देशभक्त मो० क० गांधीने शर्तपर गिरमिट बन्द करनेकी बात स्वीकार नहीं की, बल्कि उन्होंने कहा कि इन उपनिवेशोंमें गिरमिटियोंका लाया जाना पूरी तरह बन्द करना जरूरी है ।

तब देशबन्धु यू० एम० शैलतने सभामें भाषण दिया। उनके बाद देशबन्धु नाना- लाल शाह बोले । उन्होंने उस कठोर बरतावका, जो उनके साथ जेलमें किया गया था, विशद वर्णन किया ।

[ अंग्रेजीसे ]
नेटाल मर्क्युरी, ३-३-१९१०

१०३. भाषण : डर्बन भारतीय समिति में

[ फरवरी २६ १९१० ]

आजके बहुत-से भाषणोंमें आपने दो सुन्दर भाषण सुने । उनमें श्री नायकरका भाषण सबसे अच्छा था । उन सरीखे उत्साही सदस्य ट्रान्सवालकी जेलोंमें जायें तो यह माना जायेगा कि डर्बन भारतीय समिति (इंडियन सोसाइटी) ने बहुत अच्छा काम किया। श्री नायकरने शिक्षापर जोर दिया है । मेरा खयाल है कि सच्ची शिक्षाका समावेश मन और शरीरको प्रशिक्षित करनेमें हो जाता है; और खुद इससे प्रशिक्षित १. गो० कृ० गोखलेका तार, देखिए अगला शीर्षक । २. देखिए पिछला शीर्षक । Gandhi Heritage Portal