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१०५. जोहानिसबर्ग नगरपालिका और रंगदार लोग

जोहानिसबर्गकी नगरपालिका रंग-विरोधी अथवा एशियाई विरोधी कानून छलपूर्ण तरीकेसे पास कर लेना चाहती है। एक स्थानीय सामाचारपत्रके उपेक्षित कोनेमें यह रोष फैलानेवाला नोटिस छपा है कि नगरपालिका स्थानीय संसदके आगामी अधिवेशनमें एक खानगी विधेयक पेश करना चाहती है। इस विधेयकका उद्देश्य अन्य बातोंके साथ उन नगर-सम्बन्धी विनियमोंको हाथमें लेना है जो भूतपूर्व गणतन्त्रीय सरकारने युद्धकी घोषणा होनेसे ठीक पहले पास किये थे । इन विनियमोंके अनुसार रंगदार लोगोंका पैदल-पटरियोंपर चलना या शहरोंमें रहना गैर-कानूनी है। इन्हीं विनियमोंके अनुसार प्रिटोरियाकी नगरपालिकाने अपनी सीमामें रहनेवाले एशियाइयोंके अतिरिक्त तमाम रंगदार निवासियोंको हिदायत दी है कि वे शहर छोड़कर चले जायें। इसका वहाँके रंगदार लोगोंने हालमें ही बड़ा जोरदार विरोध किया था । पाठकोंको यह भी याद होगा कि प्रिटोरियाकी नगरपालिका इन विनियमोंको अपने उपयोगके लिए बनाये रखना चाहती थी इसलिए वह सरकारसे बहुत दिनों तक झगड़ती रही थी। अब जोहानिसबर्गकी नगरपालिका प्रिटोरिया नगरपालिकाका अनुकरण करना चाहती है। इसलिए श्री काछलियाने सरकारको नीचे लिखा पत्र भेजा है और टाउन क्लार्कको अपनी आपत्ति विधिवत् दी है :

मेरे संघने अखबारोंमें छपा एक नोटिस देखा है कि संसदके आगामी अधिवेशन में जोहानिसबर्गकी नगरपालिकाकी परिषद एक खानगी विधेयक पेश करेगी । इस विधेयकमें अन्य बातोंके साथ-साथ १८ सितम्बर १८९९ के नगर- सम्बन्धी विनियमोंकी धारा १२५६ को लागू करनेकी व्यवस्था है। मेरे 'संघ' की विनम्र रायमें नगरपालिकामें इन विनियमोंको लागू करनेका उद्देश्य यह दिखाई देता है कि इस कानूनकी उन धाराओंको काममें लाया जाये जिनमें रंगदार लोगोंकी स्वतन्त्रता सीमित होती है। अगर ऐसा है तो यह अप्रत्यक्ष रूपसे यहाँ बहुत आपत्तिजनक ढंगका रंग-भेदकारी कानून जारी करनेका प्रयत्न है । इसलिए मेरा संघ आदरपूर्वक भरोसा करता है कि सरकार इस विधेयकका, जहाँतक उपर्युक्त नगर - विनियमोंको लागू करनेका सम्बन्ध है, विरोध करेगी । उसकी निवासियोंसे सम्बन्धित वारा इस प्रकार है :

रंगदार लोग किसी शहर या गाँवमें उन मकानोंमें न रह सकेंगे जो सार्वजनिक सड़कोंपर खुलते हैं। परन्तु हर गृहस्थ अथवा ऐसे नौकरका घरेल | सेवाके लिए आवश्यक नौकरोंको अपने मकानके पीछेके अहातेमैं मालिक, रख सकता है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ५-३-१९१०

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