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१०६. भारतीय परिषद और गिरमिटिया भारतीय

कलकत्ताकी परिषद (इंडियन लेजिस्लेटिव कौंसिल) में माननीय प्रो० गोखले और अन्य भारतीय सदस्योंने प्रस्ताव पास कराया है कि गिरमिटियोंका आना बन्द होना चाहिए। हर भारतीयको उसका महत्त्व समझना चाहिए। इस प्रस्तावका गम्भीर प्रभाव होनेकी सम्भावना है। वह कितना गम्भीर हो सकता है यह तो यहाँके हमारे कामपर निर्भर है ।

प्रस्तावका अर्थ यह है कि यदि ट्रान्सवाल अथवा नेटालमें स्वतन्त्र भारतीयोंको न्याय प्राप्त न हो तो गिरमिटिया भारतीयोंका प्रवास रोक दिया जाये । सर जेम्स हलेटका कहना है कि हमें न्याय प्राप्त हो चुका है । वे ऐसा मानते हैं कि पिछली संसद ( पार्लियामेंट) में कुछ संशोधन स्वीकार किये जा चुके हैं इसलिए अब कुछ देना नहीं रहा । वे यह भी कहते हैं कि अब भारत सरकार कोई कदम न उठायेगी । वेद धर्म-सभा सरकारके कियेका आभार मानती है; किन्तु हम सारे भारतीयोंको सावधान करते हैं कि जबतक निम्नलिखित बातोंके बारेमें खुलासा नहीं कर दिया जाता तबतक यह नहीं माना जा सकता कि गैर-गिरमिटिया भारतीयोंको न्याय मिल गया है ।

(१) तीन पौंडी कर पुरुषों और स्त्रियों - दोनों परसे हटाना चाहिए।
(२) सभी परवानोंके बारेमें सर्वोच्च न्यायालय में अपीलका अधिकार मिलना चाहिए ।
(३) एक पौंडी व्यक्ति कर खत्म किया जाना चाहिए ।
(४) शिक्षाकी पूरी सुविधाएँ दी जानी चाहिए।
(५) प्रवासी कानून ( इमीग्रेशन लॉ) के अमलमें जो परेशानियाँ हैं वे दूर की जानी चाहिए।
(६) अनुमतिपत्र कानून-सम्बन्धी परेशानियाँ हटाई जानी चाहिए ।

इतना तो नेटालमें होना जरूरी है । अब संघ बन गया है इसलिए सारे दक्षिण आफ्रिकाकी जाँच-पड़ताल करना आवश्यक है । इस तरह, ट्रान्सवालकी तकलीफ मिटनी चाहिए और वह केवल संघर्षके सम्बन्धमें ही नहीं, बल्कि जो अन्य अधिकार नहीं मिलते उनके सम्बन्धमें भी । केपमें परवानों और प्रवासका कष्ट है वह दूर होना चाहिए। जब समझौतेकी बातचीत होगी तब ये सारे सवाल उठ सकते हैं और इन्हें उठाया ही जाना चाहिए। इसलिए भारतीय समाजका एक कर्तव्य तो सरकारको साफ-साफ यह बताना है कि पिछली बैठकमें जो संशोधन किये गये हैं वे निरर्थक हैं। उनसे भारतीय समाजका कोई भी लाभ नहीं हुआ ।

भारतीय समाजका एक दूसरा बड़ा कर्तव्य भी है। क्या हम सौदा करना चाहते हैं ? प्रो० गोखलेने यह प्रश्न ठीक ही उठाया है । यदि यह प्रश्न दूसरी तरह उठाया जाता तो उसका भारत सरकारके मनपर असर नहीं पड़ सकता था । किन्तु हमारी