पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/२२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१८६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

स्थिति दूसरी है । हम गिरमिटियोंके हितको बेचकर अपने हक नहीं खरीद सकते । हमें तो स्पष्ट कहना चाहिए कि सरकारको गिरमिटियोंका प्रवास बिलकुल बन्द कर देना चाहिए, और सो भी गिरमिटियोंके हितकी दृष्टिसे, क्योंकि गिरमिट प्रथा मूलतः ही बुरी है और गिरमिटसे गिरमिटियों को लाभ नहीं है । भारतसे गिरमिटियोंके आनेसे भारतको कोई लाभ नहीं है। इन सब बातोंपर काफी सोच-विचार किया जाना चाहिए ।

यह समझ लेना चाहिए कि ऐसा करनेमें ही भारतका हित है। जबतक गिरमिटिया नेटालमें आते हैं तबतक स्वतन्त्र भारतीय सुखसे नहीं बैठेंगे। फिर यह भी याद रखना चाहिए कि संघ सरकार सम्भवतः गिरमिटियोंका प्रवास जारी न रहने दे। श्री मेरीमैन' उसके बिल्कुल खिलाफ हैं । इसलिए हर तरहसे विचार करनेपर गिरमिटियोंका प्रवास बन्द करना ही अच्छा है ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ५-३ - १९१०

१०७. प्राप्त अवसर

कलकत्ताकी कार्रवाई और ब्रिटिश संसद में पूछे गये प्रश्नोंसे प्रत्येक भारतीय ट्रान्सवालकी लड़ाईका महत्त्व आँक सकता है। ट्रान्सवालकी लड़ाईकी जड़ें दिनोंदिन गहरी होती जाती हैं। इसकी जड़ें ऐसी जम जायेंगी कि कोई उनको उखाड़ न सकेगा । ऐसी लड़ाईमें देर लगती है; इससे किसी प्रकारकी घबराहट न होनी चाहिए। सत्या- ग्रहीको प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। भक्त सुधन्वा सत्यकी खातिर जब तेलके खौलते कड़ाहेमें डाले गये, तब वे प्रसन्नमुख उसमें कूद पड़े थे। ऐसी ही मनोदशा प्रत्येक सत्याग्रहीकी होनी चाहिए। इसका यथार्थ उदाहरण हमें श्री पी० के० नायडूके रूपमें मिलता है ।

इस लड़ाईका काले लोगोंपर गहरा असर होने लगा है। डॉक्टर अब्दुर्रहमानने इस विषय में अपने अखवारमें बहुत लिखा है और प्रत्येक काले व्यक्तिको भारतीयोंका अनुसरण करनेकी सलाह दी है। काले लोगोंने जोहानिसबर्ग में प्रस्ताव भी पास किया है कि वे सरकारके कानूनोंको नहीं मानेंगे और सत्याग्रह करेंगे।

ब्रिटिश लोकसभा में सरकारने एक प्रश्नके उत्तरमें बताया है कि अभी ट्रान्सवाल सरकारसे उसकी बातचीत चल रही है ।

इस समय भारतीय समाजको बहुत विचार करके जोर लगानेकी जरूरत है । चीनी बहुत सचेत हो चुके हैं किन्तु भारतीय बेसुध दिखाई देते हैं। तमिल भारतीय इस आलोचनाके अपवाद हैं। हम गुजराती हिन्दुओं तथा गुजराती मुसलमानोंसे निवेदन १. गिरमिटियोंका आना तुरन्त बन्द करनेमें । २. जॉन जेवियर मेरीमैन (१८४१-१९२६), केपके प्रधान मन्त्री ।