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पत्र : मौलवी अहमद मुख्तयारको

गया लगता है। क्षति तो सभी सत्याग्रहियोंको सहनी है । जिस सत्याग्रहीपर कैदके बजाय जुर्माना किया जाये उसका जुर्माना समिति दे दे तो यह माना ही न जायेगा कि जिसपर जुर्माना किया गया है उसने सत्याग्रह किया है। जुर्माना होनेसे जिसका माल चला जाये और जो भिखारी हो जाये, उस व्यक्तिका भरण-पोषण समिति कर सकती है । समिति इससे ज्यादा कुछ कर ही नहीं सकती । बहुत-से भारतीय इस लड़ाई में और इस लड़ाईके निमित्त भिखारी बन गये हैं। उनकी सहायता किसने की है ? सहायता की ही नहीं जा सकती। जिनपर जुर्माने हुए हैं उनको गर्व होना चाहिए कि वे अब भिखारी होकर अच्छी तरहसे लड़ाई लड़ सकेंगे। यह स्मरण रखना है कि इसमें मकान जब्त करानेका प्रश्न नहीं उठता ।

फिर कुछ लोग कहते हैं कि अदालतने अनुचित निर्णय दिया है, इसलिए अपील की जानी चाहिए। ऐसी अपीलें करनेके दिन अब चले गये हैं। लोग अपीलें करनेसे कुछ बचनेवाले नहीं हैं । परन्तु यदि वे स्वयं साहसी होंगे तो उनके मनमें मालकी नीलामीसे अथवा ऐसी किसी अन्य बातसे डर पैदा नहीं हो सकेगा। यह अवसर अन्तिम है । इसमें तो पूरे जोरदार व्यक्ति ही आ सकते हैं । ऐसा समय नहीं है कि उनके अतिरिक्त जो अर्ध-सत्याग्रही हैं वे टिक सकें । बलवान व्यक्ति ही चारों ओरके प्रहारोंको झेल सकता है। श्री रुस्तमजी और श्री काछलिया सब कुछ खो बैठे हैं । उनको कौन पैसा देगा ?

मेरी मान्यता है कि भारतीयोंने इस सम्बन्ध में जो अपील भेजी है वह केवल समय लेनेके लिए ही भेजी है । इसी शनिवारको मालकी नीलामीकी सूचना 'गजट' में है, परन्तु अपीलकी सूचना जानेसे मालकी नीलामी रुक जायेगी। लेकिन मुझे उम्मीद यही है कि अन्तमें भारतीय भाई अपना माल नीलाम हो जाने देंगे।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ५-३-१९१०

११०. पत्र : मौलवी अहमद मुख्तयारको

[डर्बन]
शुक्रवार, मार्च ११,१९१०

मौलवी अहमद मुख्तयार साहब,

आपका पत्र मिला। फीनिक्सका जो कर्ज मुझपर था, वह अधिकतर संघर्षके समय में हुआ था । सत्याग्रह कोष से वह कर्ज अदा किया जा सकता है, क्योंकि 'इंडि- यन ओपिनियन' केवल जातिकी सेवाके लिए और लड़ाईकी खातिर चलाया जाता है । उसमें काम करनेवाले ज्यादातर लोग कौमकी खातिर गरीबीमें रहे हैं। फीनिक्स लिया गया है, तो वह भी कौमकी ही खातिर लिया गया है और उसमें जो कुछ किया जाता है वह केवल कौमकी ही खातिर किया जाता है। इसलिए मैं फीनिक्सको सार्वजनिक संस्था मानता हूँ। फिर जो कर्ज सत्याग्रह कोषमें से अदा किया गया है और