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गिरमिटिया भारतीय

कुछ भारतीयोंके मनमें इस भयने घर कर लिया है कि इन मजदूरोंका आना बन्द हो जानेसे यहाँ बसे हुए भारतियोंकी स्थिति कहीं ज्यादा खराब न हो जाये । हम अपने उन पाठकोंको, जिनके मनमें ऐसा भय है, यह बता देना चाहते हैं कि जिस प्रथाको वे पसन्द नहीं करते उसका समर्थन करके वे अपनी हालत नहीं सुधार सकेंगे। हम यहाँ किसीकी दयापर नहीं, बल्कि अपने अधिकार और कर्तव्यके बलपर रहना चाहते हैं।

नेटाल विधानमण्डलके कुछ बागान-मालिक सदस्योंने जरूर कहा है कि जहाँतक स्त्रियोंका सम्बन्ध है, उनसे तीन पौंडका कर लेना अन्यायपूर्ण है। परन्तु इससे हमें यह मान लेनेकी भूल नहीं करनी चाहिए कि वे सम्पूर्ण भारतीय प्रश्नपर विचारके ढंगमें कोई क्रान्तिकारी परिवर्तन करना चाहते हैं। उन्होंने तो बार-बार घोषित किया है कि उन्हें हमारे श्रमकी जरूरत है, परन्तु वे यह नहीं चाहते कि हम व्यापार या उद्योगकी अन्य शाखाओंमें उनसे प्रतिस्पर्धा करें। वे हमें नागरिक अथवा राजनीतिक समानता नहीं देना चाहते । जैसा कि हम अक्सर कहते रहे हैं, नागरिक अथवा राजनीतिक समानता दी नहीं जाती। हमें ऐसी विशेष स्थिति उत्पन्न करनी है जिसमें हम उसे ले सकें । साधारण बुद्धिके लोगोंके निकट भी यह बात स्पष्ट हो जानी चाहिए कि जबतक गुलाम मजदूर भारतसे उपनिवेशमें चले आते हैं तबतक एसी स्थिति उत्पन्न होना असम्भव है।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, १२-३-१९१०
 
११२. गिरमिटिया भारतीय

भारतमें गिरमिटिया भारतीयोंके प्रवासको बन्द करनेका जो आन्दोलन हो रहा है उसके फलस्वरूप यहाँके समाचारपत्रोंमें बड़ी चर्चा चल रही है। मैरित्सबर्गके वकील श्री टैथमने भाषण दिया है। उसमें उन्होंने कहा है कि संघमें भारतीय मजदूरोंको लाना बन्द किया ही जाना चाहिए। श्री टैथम कहते हैं कि पश्चिमकी सभ्यता हमारी [भार- तीय | सभ्यतासे अच्छी है; उसमें हमारी सभ्यताका मिश्रण होना निश्चय ही ठीक नहीं है। उक्त महानुभाव यह भी कहते हैं कि हम उनके सम्पर्कमें आने योग्य नहीं हैं। अन्तमें उन्होंने मुसलमानी धर्मके विषयमें अनुचित टीका करते हुए कहा है कि भारतीयोंका दक्षिण आफ्रिकामें न रहना ही ठीक होगा।

इन तर्कोंको तो हम एक तरफ ही रखें । उनको जान लेना-भर जरूरी है। किन्तु वे गिरमिट बन्द करना चाहते हैं; यह हमें स्वीकार करना है। प्रत्येक भारतीयको यह समझ लेना चाहिए कि गिरमिटिया भारतीयोंके आनेसे न तो स्वतन्त्र भारतीयोंको सुख है और न गिरमिटियोंको। यह सोचना कि गिरमिटियोंके साथ व्यापार चलता है और उनके लिए जो अनाज आता है उसपर थोड़ा बहुत नफा मिल जाता है, अदूरदर्शिता है। गिरमिटियोंके साथ हमारा बहुत व्यापार नहीं है, हो भी नहीं सकता ।


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