इस समय इतना उत्साह दीख पड़ रहा है कि कम्पनीके लगभग १,५०० पौंडके हिस्से बिक चुके हैं और फुटकर व्यापारियोंने नेसल्स कम्पनीसे दूध न लेना स्वीकार कर लिया है ।
यह एक बहुत बड़ा कदम है। अगर यह सफल हो गया, तो नेसल्स कम्पनी समझ लेगी कि भारतीयोंका तिरस्कार करनेमें कोई लाभ नहीं है । और भारतीय भी यह जान जायेंगे कि वे अपने बलबूतेपर जूझ सकते हैं । सफलता प्राप्त करनेकी शर्तें नीचे लिखे अनुसार हैं :
- १. भारतीयोंमें इस प्रकारका काम करनेका उत्साह और सामर्थ्य होना चाहिए ।
- २. मुखिया लोगोंमें कमसे-कम इस व्यापारके सम्बन्धमें ईमानदारी अवश्य होनी चाहिए। उसका कोई भी सदस्य दूसरोंका नफा हड़प जाये और या कम्पनी अपनी पूँजी पर बड़ा मुनाफा लेना चाहे तो काम न चलेगा ।
- ३. भारतीय व्यापारियोंमें एकता होनी चाहिए ।
- ४. छोटे व्यापारियोंको उदारतासे काम लेना होगा ।
- ५. और सब भारतीयोंमें स्वाभिमानकी तीव्र भावना होनी चाहिए ।
यदि इस काममें सफलता मिली तो इसी प्रकारके अन्य काम किये जा सकेंगे। हम भारतीय व्यापार-मण्डल और उसके पदाधिकारियोंको इस कदमके लिए बधाई देते हैं और इसमें सफलताकी कामना करते हैं। परन्तु सफलता तो उसके पदाधिकारियोंके कामपर निर्भर होगी।
इंडियन ओपिनियन,१२-३-१९१०
११४. जोजेफ रायप्पन फेरीवाले
बैरिस्टर श्री जोज़ेफ रायप्पनका चित्र हम पहले दे चुके हैं; अब फेरीवाले श्री जोजेफ रायप्पनका चित्र दिया जा रहा है। श्री रायप्पन अच्छा काम कर रहे हैं। इसलिए हमें पूरा विश्वास कि इस बारके चित्रको सभी पाठक बहुत पसन्द करेंगे । दुःख और श्रम उठानेवालोंसे भारतका उद्धार होगा। वकील-बैरिस्टर तो उसे बेड़ी ही पहनायेंगे ।
इंडियन ओपिनियन, १२-३-१९१०
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