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११७. भेंट : 'स्टार' के प्रतिनिधिको

जोहानिसबर्ग
मार्च, १७, १९१०

सरकारने श्री गांधी के साथ रविवारको सुबह ट्रान्सवाल आनेवाले भारतीयोंको गिरफ्तारी शुरू कर दी है। दो सोमवारको गिरफ्तार किये गये, छ: मंगलवारको और दो कल । सभीको निर्वासनका दण्ड दिया गया है और आज उन्हें प्रिटोरिया ले जाया जा रहा है। वहाँसे उन्हें निर्वासित करके नेटाल भेज दिया जायेगा। ये सभी या तो शिक्षित भारतीय हैं या युद्धसे पहलेके अधिवासी; और यद्यपि इन्हें उप- निवेशमें अधिवासका या अपनी शिक्षाके बलपर प्रवेशका अधिकार प्राप्त है, फिर भी हमें मालूम हुआ है कि आवश्यक हुआ तो ये संघर्षके समाप्त होनेपर ही नेटाल वापस जायेंगे ।

आज सुबह श्री गांधीने हमारे प्रतिनिधिको बताया कि भारतीय जोहानिसबर्गमें अपने व्यक्तिगत अधिकारपर जोर देने के लिए नहीं, बल्कि संघर्षमें भाग लेनके लिए आये हैं। वे लौट जायेंगे और फोक्सरस्टमें फिर गिरफ्तार करके जेल भेज दिये जायेंगे । बाकी लोग भी कुछ ही दिनोंमें गिरफ्तार कर लिए जायेंगे। श्री गांधीने कहा : "

"समझमें नहीं आता, सरकार मुझे क्यों नहीं गिरफ्तार करती। मैं खुले रूपमें भी यह स्वीकार करता हूँ कि इन लोगोंको यहाँ लाने और उपनिवेशमें प्रवेश कराने में मेरा हाथ है, और दरअसल यह कहा भी गया है कि इन लोगोंको उपनिवेशमें लाकर मैंने प्रवासी कानून ( इमीग्रेशन लॉ) को तोड़ा है, क्योंकि मैं निषिद्ध प्रवासियोंको उपनिवेशमें प्रवेश करनेमें सहायता देता हूँ और उकसाता हूँ। मैं स्वयं तो इन भारतीयोंको कतई निषिद्ध प्रवासी नहीं मानता। हमारे संघर्षका मुख्य स्वरूप कष्ट सहन और कष्ट-सहनके द्वारा वांछित राहत प्राप्त करना है। डीपक्लूफकी जेलमें चीनियों सहित १०० अनाक्रामक प्रतिरोधी हैं और ३६ व्यक्ति निर्वासित किये जानेकी प्रतीक्षामें हैं। "

[ अंग्रेजीसे ]
स्टार, १७-३-१९१०

१. इसकी एक रिपोर्ट १८-३-१९१० के नेटाल मर्क्युरीमें भी प्रकाशित की गई थी और वह १९-३-१९१० के इंडियन ओपिनियन में भी उद्धृत की गई थी । Gandhi Heritage Porta