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१२१. केपके भारतीय मतदाता

एक संवाददाताने हमसे पूछा है कि संघ-संसदके चुनावोंमें भारतीय मतदाताओंको मतदान किस प्रकार करना चाहिए । इस बारेमें कोई नियम निर्धारित करना सहज नहीं है। परन्तु यह तो कहा ही जा सकता है कि यदि चुनाव दलोंके आधारपर हो और संयुक्त सरकार न बने तो भी भारतीय प्रश्न दलगत प्रश्न नहीं बनाया जायेगा। दोनों दलोंमें ऐसे आदमी होंगे ही जो सामान्यतः हमारे साथ सहानुभूति रखेंगे। इसलिए हमारा सुझाव यह है कि उम्मीदवारोंसे कुछ निश्चित प्रश्न पूछे जायें और जो हमारे पक्षके अनुकूल जवाब दें भारतीय उनको ही अपना मत दें फिर चाहे वे किसी भी दलके हों । भारतीय मतदाता यह भी अच्छी तरह समझ लें कि यदि किसी क्षेत्रमें ऐसा एक भी उम्मीदवार न हो जो भारतीयोंके पक्षके अनुकूल हो तो वहाँ वे किसीके भी पक्षमें मत न दें । वे इसमें कोई भूल न करें। ये प्रश्न केपमें प्रवासी कानून (इमीग्रेशन ऐक्ट) पर अमल, विक्रेता परवाना कानून (डीलर्स लाइसेंस ऐक्ट ) में आवश्यक संशोधन, ट्रान्सवालके संघर्ष और नेटालमें गिरमिटिया मजदूरोंका लाना बन्द करनेके बारेमें पूछे जा सकते हैं। अन्तके दो प्रश्न पूरी तरहसे अब समस्त दक्षिण आफ्रिकाके प्रश्न बन गये हैं और दक्षिण आफ्रिकाके सभी सार्वजनिक कार्यकर्ताओंका ध्यान इनकी तरफ जाना चाहिए । -- अन्तमें हम केपके भारतीय मतदाताओंको यह सुझाव देना चाहते हैं कि उन्हें अपना एक निजी संगठन बना लेना चाहिए। इस संगठनमें सभी भारतीय मतदाताओंपर नियन्त्रण रखनेकी क्षमता होनी चाहिए। उसे अपने सदस्योंके मार्ग-दर्शनके लिए अपनी नीति भी निश्चित कर देनी चाहिए। ध्यान रहे कि उम्मीदवार व्यक्तिशः मतदाताओंकी बात न सुनेंगे। परन्तु कोई संस्था, जिसे समस्त भारतीयोंके मतदानका बल प्राप्त हो, ध्यान आकृष्ट किये बगैर नहीं रह सकती । {{left[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १९-३-१९१०}} Gandhi Heritage Portal