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ही रहो; लेकिन मनमें यह निश्चित समझ लेना कि बम्बई साक्षात् नरक है और उसमें सार कुछ नहीं है।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें लिखित मूल गुजराती पत्रकी नकल (सी० डब्ल्यू० ४९२५ ) से ।

१३२. पत्र : मध्य दक्षिण आफ्रिकी रेलवे के महाप्रबन्धकको

[ जोहानिसबर्ग ]
मार्च ३१, १९१०

महोदय,

प्रिटोरियाके एक व्यवसायी, श्री इस्माइल आदमने मेरे संघको नीचे लिखी घटनाकी सूचना दी है। उनके पास पार्कसे प्रिटोरिया तक का पहले दर्जेका वापसी टिकट है जिसका नम्बर ९२७१ है । वे कल शाम ८-१० की गाड़ीसे प्रिटोरिया जा रहे थे। वे गाड़ीपर सवार हुए, उनका टिकट जाँचा गया और चूंकि आरक्षित [रिजर्ल्ड] डिब्बेमें जगह नहीं थी, इसलिए वे दूसरे डिब्बेमें घुस गये। उस डिब्बेमें चार यूरोपीय बैठे थे। उन्होंने अपने डिब्बेमें श्री इस्माइल आदमकी उपस्थितिपर कोई आपत्ति नहीं की। फिर भी कंडक्टरने श्री इस्माइल आदमको उस डिब्बेमें देखकर उनसे उसमें बैठनेका कारण पूछा। श्री इस्माइल आदमने उत्तर दिया कि यदि स्थान मिले तो वे बड़ी खुशीसे किसी दूसरे डिब्बेमें चले जायेंगे। कंडक्टरने इसपर कहा कि उनको बदली करनी ही पड़ेगी। श्री इस्माइल आदमने उसका यह अर्थ समझा कि उनको गाड़ीकी बदली करनेके लिए कहा जा रहा है, इसीलिए उन्होंने पूछा कि बदली क्यों करनी होगी। लगता है कि इससे कंडक्टरको क्रोध आ गया। उसने उन्हें कहा कि उनको डूर्नफॉटीन स्टेशनपर उतरना पड़ेगा; और स्टेशन आनेपर जब गाड़ी चल ही रही थी, किन्तु उसकी चाल कुछ धीमी हो गई थी, उसने उन्हें गाड़ीसे प्लेटफार्मपर खींच लिया।

मेरे संघकी राय है कि अभीतक ऐसे जितने भी मामलोंकी ओर उसका ध्यान खींचा गया है उनमें यह सबसे गम्भीर है। यदि आप कृपा करके इस मामलेमें तुरन्त कार्रवाई करनेका आश्वासन देंगे, तो मेरे संघको बड़ी प्रसन्नता होगी । प्रिटोरियामें श्री इस्माइल आदमका पता है: ६३ क्वीन स्ट्रीट |

यद्यपि मेरा संघ अपना सार्वजनिक कर्तव्य समझकर और जिस समाजका वह प्रतिनिधित्व करता है उस समाजके हितोंके खयालसे ही इस घटनाकी ओर ध्यान १. इस पत्रका मसविदा अनुमानतः गांधीजीने तैयार किया था और यह ब्रिटिश भारतीय संवके अध्यक्षके हस्ताक्षरोंसे भेजा गया था।