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१३४. नेटाल भारतीय कांग्रेसका कर्तव्य

हमें भारतसे प्राप्त तारसे ज्ञात हुआ है कि गिरमिट प्रथाकी समाप्तिका विधेयक वाइसरॉयकी विधान परिषद् (लेजिस्लेटिव कौंसिल) में पास कर दिया गया है। वाइस- रॉयने कहा है कि नेटाल-सरकारसे अच्छी तरह बातचीत करनेके बाद ही कानून अमलमें लाया जायेगा । इसका अर्थ यह निकला कि यदि भारतीय निष्क्रिय बैठे रहेंगे तो वाइसरॉय स्वयं गिरमिट प्रथाको समाप्त नहीं करेंगे। यदि भारतीय अपना कर्तव्य पूरा करेंगे तो गिरमिट प्रथा समाप्त हुए बिना न रहेगी। किन्तु हम देखते हैं कि कुछ भार- तीयोंका खयाल यह है कि गिरमिट समाप्त होनेसे हानि है । हानि किसकी है ? गिरमिटपर आनेवाले मजदूरोंको वह गुलामी न मिल सकी इसे कोई हानि माने तो भले ही माने । हम इसमें अन्य किसकी हानि मान सकते हैं ? हमें गिरमिटियोंके आनेसे स्वतन्त्र भारतीयोंकी तो बहुत ही हानि दिखाई देती है। उनमें जो मजदूर हैं उन्हें मजदूरी नहीं मिलती। यदि मजदूरी मिलती है तो उसमें बहुत कम पैसे मिलते हैं। इससे मजदूरोंकी, और जो मजदूर नहीं हैं उनकी भी, बेइज्जती होती है, क्योंकि गिर- मिटियोंके आनेसे हमारे विरुद्ध आपत्ति बढ़ती ही जाती है । गिरमिट प्रथा समाप्त हो जाये तो भारतीय लोगोंका दर्जा तुरन्त ऊँचा हो सकता है। गुलामीका अन्त होनेसे पास वगैराके कानूनोंको हटवाया जा सकेगा और व्यापारियों- पर जो हमला किया जाता है वह भी कम हो जायेगा। बेशक, बादमें भी लड़ाई तो लड़नी ही पड़ेगी, परन्तु वह लड़ाई अधिक उत्साहसे लड़ी जा सकेगी और उसमें सफलताकी आशा भी अधिक होगी। जब दक्षिण आफ्रिकामें केवल स्वतन्त्र भारतीय ही होंगे तब भारतीय समाज बहुत ज्यादा काम कर सकेगा। इस प्रकार चाहे जैसे विचार करें, गिरमिट प्रथाकी समाप्तिमें ही भारतीयोंका लाभ है । फिर यह भी विचारणीय है कि यदि भारतीय गिरमिटकी समाप्तिका आन्दोलन छोड़ दें तो भी संघ-संसद तो उसे समाप्त करेगी ही। जब ऐसा होगा तब भारतीयोंको लज्जित होना पड़ेगा और यश प्राप्त करनेका जो अवसर आज मिला है वह पुनः नहीं मिल सकेगा । {{left[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २-४-१९१०}} Gandhi Heritage Porta