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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

शक्ति किसीकी तलवारमें नहीं है। किन्तु लोहेकी तलवार लेकर पैंतरे दिखानेवाले व्यक्तिको लोहेकी अधिक तेज तलवारके आगे झुकना पड़ता है। इसीलिए सत्याग्रहीको कथा बड़ी पवित्र भावनाके साथ बाँची जाती है। जिस आदमीमें सत्याग्रहके पालनका बल नहीं होता, उसका मन सहज ही शरीर-बलका सहारा लेना चाहता है, क्योंकि वह अपेक्षाकृत सुगम है। भारतके लिए स्वराज्य प्राप्त करनेकी धुनमें उन्मत्त और मरणातुर कुछ भारतीय ऐसा सोचते जान पड़ते हैं कि सत्याग्रहके अन्तमें पशुबल ही का आसरा लेना पड़ता है, अर्थात् सत्याग्रह एक सीढ़ी है जो पशुबलके पागलपनमें डूबनेसे पहले आती है। ऐसी धारणा रखनेवाले लोगोंको यदि सागरको नापनेवाले कुऍके मेंढकके समान माना जाये तो अनुचित न होगा। तथ्य तो यह है कि सत्याग्रहके लिए आवश्यक सहनशीलता जिस पुरुषमें विकसित नहीं हो पाती वह हताश होकर शरीर-बलका उप- योग कर बैठता है और थोड़ी ही अवधिमें अपने दुःखोंका अन्त करनेकी गरजसे बावला होकर और आँखें मूंदकर हिंसाके कुऍमें कूद पड़ता है। ऐसा व्यक्ति कभी सत्याग्रही रहा ही नहीं। ऐसा व्यक्ति सत्याग्रहको समझना ही नहीं चाहता। {{left[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २-४-१९१०}}

१३६. पत्र : मगनलाल गांधोको

{{rightफाल्गुन वदी ७ [ संवत् १९६६]
[ अप्रैल २, १९१०]}} चि० मगनलाल, तुम्हारा पत्र मिला। मैं उसे इस उद्देश्यसे तुम्हारे पास वापस भेज रहा हूँ कि उत्तर तुम्हारी समझमें आ सके। जो शंकाएँ तुमने उठाई हैं उनके उत्तर देनेका प्रयत्न करूंगा । परन्तु वे शायद उससे भी पूरे तौरपर समझमें न आ सकेंगी। यदि तुम '[ हिन्द ] स्वराज्य' नामक पुस्तिका एक-दो बार फिर पढ़ जाओगे तो जो स्पष्टीकरण तुमने माँगा है, वह कदा- चित् उसमें मिल जायेगा । जिस हद तक हमने [पाश्चात्य ] सभ्यताको अपनाया है, उस हद तक हमें अपने कदम पीछे हटाने होंगे. • इसमें सन्देह नहीं है। हमारे कामका यह भाग सबसे कठिन है, परन्तु इसे पूरा करने में ही छुटकारा है। यदि हम गलत रास्तेपर चले जाते हैं, तो पीछे लौटे बिना काम नहीं चलता। जिन प्रवृत्तियोंमें हम रस ले रहे हैं उनके प्रति अनासक्त होनेसे ही छुटकारा मिलेगा। ऐसा करनेके लिए हमें उनके प्रति उपेक्षाका भाव रखना उचित है । जो साधन लाभदायक दिखाई पड़ रहे हैं वे तो छोड़े नहीं जा सकते। जो व्यक्ति यह अनुभव कर लेगा कि किसी चीजमें दिखाई पड़नेवाले लाभकी अपेक्षा हानि अधिक है, वही उसे त्यागेगा। मुझे तो लगता है कि पत्रोंके जल्दी भेजे Gandhi Heritage Portal