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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दूसरा मुकदमा चलेगा उसका फैसला देखना है। यहाँ कदाचित् यह कहावत लागू होती है : 'जान बची लाखों पाये ” ।

लॉर्ड सेल्बोर्न

खान-मालिकोंने लॉर्ड सेल्बोर्नको भोज दिया था। उसमें इन महाशयने गोरोंको चेतावनी दी कि यदि वे लोग चेतेंगे नहीं और केपमें रंगदार लोगोंपर अन्याय किया जायेगा तो उसका परिणाम बुरा होगा और उन्हीं लोगोंमें से ऐसे व्यक्ति उठ खड़े होंगे जो काफिरोंका नेतृत्व करेंगे। लॉर्ड सेल्बोर्न मानते हैं कि दक्षिण आफ्रिकामें यह प्रश्न सबसे बड़ा प्रश्न है । इन उद्गारोंकी कुछ छान-बीन ज़रूरी है। ऐसा प्रतीत नहीं होता कि लॉर्ड सेल्बोर्नने काले लोगोंकी भलाईकी दृष्टिसे ऐसा कहा है; बल्कि उन्हें भय है कि यदि काले लोगोंमें नेता उत्पन्न हो जायेगा तो बुरा होगा। फिर भी उनके सच्चे हितैषियोंको तो यही कामना करनी चाहिए कि ऐसे नेता पैदा हों। ये जितने ज्यादा पैदा हों उतना ही अच्छा; ऐसे लोगोंको प्रोत्साहन देना चाहिए।

रेलवेके विनियम

महाप्रबन्धक (जनरल मैनेजर), सहायक प्रबन्धक, श्री बेला, श्री काछलिया और श्री गांधीके बीच आज लगभग डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई। उसके बाद कुछ परिवर्तनोंके साथ वह मसविदा स्वीकार कर लिया गया जो संघकी ओरसे भेजा गया था। महा- प्रबन्धकने कहा कि रेलवे-निकाय (बोर्ड) से जो विनियम बन चुके हैं उनको रद करनेकी सिफारिश करेंगे और जो मसविदा उन्होंने पसन्द किया है उसके अनुसार नये विनियम बनाये जायेंगे। जो मसविदा स्वीकृत किया गया है उसके अनुसार चमड़ीके रंगका भेद कानूनसम्मत नहीं हो सकता । भारतीय तीसरे दर्जेमें ही यात्रा कर सकते हैं, यह विधान करनेवाली धारा रद कर दी जायेगी और तब जैसी स्थिति पहले थी, वैसी ही हो जायेगी ।

भारतीयोंको चेतावनी

इस प्रकारका परिवर्तन निस्संदेह अच्छा माना जायेगा। इससे प्रकट होता है। कि भारतीय जातिका तिरस्कार करना कठिन है। किन्तु भारतीय जातिका उत्तर- दायित्व भी बढ़ेगा । हम अपनी मर्यादामें रहकर जायेंगे आयेंगे तो कुछ कठिनाई नहीं आयेगी; परन्तु यदि हम मर्यादाका उल्लंघन करेंगे तो निःसन्देह कठिनाई आयेगी और हमारे विरुद्ध विशेष विनियम (रेगुलेशन) बनाये जायेंगे ।

दूकान-बन्दी विनियम

दूकान बन्द करनेके विनियमोंमें फिर फेरफार किया जायेगा। उनमें मुख्य फेरफार यह होगा कि यूरोपीयोंके होटल जहाँ रातके वारह बजे तक खुले रह सकेंगे वहाँ


१. गुजराती कहावत 'अणीने चुक्यो सो वरस जीवे' - संकटकी घड़ींसे बचे सो सौ साल जिये। २. देखिए परिशिष्ट ४ । Gandhi Heritage Portal