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पत्र: मध्य दक्षिण आफ्रिकी रेलवेके महाप्रबन्धकको

भारतीयोंकी खुराकसे घी हटा देनेके बारेमें निवेदन है कि मेरे संघकी जानकारीके अनुसार वर्तमान खुराक जेल-गवर्नरोंने ही निर्धारित की है। लेकिन यह तो निर्विवाद है कि इस परिवर्तनके फलस्वरूप खूराकमें से एक ऐसी चीज हट गई है जो ट्रान्स- बालके जेलोंके अधिकांश भारतीय कैदियोंको दी जाती है और जो ब्रिटिश भारतीयोंके लिए खास तौरपर जरूरी है। मेरे संघकी विनम्र राय है कि जेल-गवर्नरोंने इस परिवर्तनका फैसला करते समय रुचि और आदतका कोई ध्यान नहीं रखा ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-४-१९१०

१४६. पत्र : मध्य दक्षिण आफ्रिकी रेलवेके महाप्रबन्धकको

जोहानिसबर्ग
अप्रैल १२, १९१०

महोदय,

मैं अपनी और श्री काछलियाकी ओरसे आपके इसी ११ तारीखके उस पत्रके' लिए आपको धन्यवाद देता हूँ, जिसमें आपके विभागके तथा ब्रिटिश भारतीय संघके प्रतिनिधिके रूपमें श्री काछलियाके और मेरे बीच कल तय हुई बातोंका सारांश दिया गया है। सारांश स्थितिको बिलकुल सही रूपमें प्रस्तुत करता है । गजटमें प्रकाशित विनियमोंके सम्बन्धमें आपके विभाग और मेरे संघके बीच जो पत्र-व्यवहार चल रहा था, उसके सम्बन्धमें आपने मेरे संघ द्वारा पेश किये गये प्रार्थनापत्रों के प्रति जो उदार रुख अख्तियार किया है, उसके लिए मेरे साथी और मैं आपको धन्यवाद देते हैं ।

मैं मानता हूँ, इस व्यवस्थाका सुचारु अमल इसपर निर्भर करेगा कि ब्रिटिश भारतीय कितने आत्म-संयमसे काम लेते हैं, लेकिन साथ ही यह यात्रियोंके आवागमनका नियमन करनेवाले अधिकारियोंकी चतुराई और सद्भावनापर भी उतना ही निर्भर करेगा । अंतमें, मुझे भरोसा है कि ट्रान्सवाल और ऑरेंज रिवर कालोनीकी सरकारें और रेलवे-निकाय आपकी सिफारिशोंको मान लेंगे, और जिन विनियमोंके बारेमें शिकायतकी गई है वे रद कर दिये जायेंगे तथा उनके स्थानपर आपके इस पत्रमें उल्लिखित विनियम रख दिये जायेंगे ।

आपका, आदि,
मो० क० गांधी
अवैतनिक मंत्री
ब्रिटिश भारतीय संघ

मूल अंग्रेजीकी फोटो-नकल (सी० डी० ५३६३) और 'इंडियन ओपिनियन' १६-४-१९१० से। १. देखिए परिशिष्ट ४ : Gandhi Heritage Portall