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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

हो । स्वयं श्री चेट्टियार तीसरी बार गिरफ्तार हुए हैं, और जैसा कि हम पहले बता चुके हैं, उनका पुत्र सातवीं बार । इन वीर पुरुषोंने राष्ट्रकी प्रतिष्ठा और अपनी पवित्र प्रतिज्ञाकी रक्षाके लिए अपने आपको अकिंचन बना लिया है और इस तरह अक्षरशः सर्वस्वकी आहुति दे दी है। तमिलोंके लिए गिरफ्तार होना एक ऐसी साधारण वात हो गई है कि अब उसकी तरफ न किसीका ध्यान जाता है और न किसीको उसमें नवीनता लगती है। श्री चेट्टियारकी हालत किसी समय बहुत अच्छी थी; वे अब निर्धन हो गये हैं। उनके परिवारके निर्वाहके लिए बेचे गये जेवरातकी कुछ रसीदें हमने अपनी आँखोंसे देखी हैं। इस प्रकारके त्यागको देखकर अगर कोई क्षण-भरके लिए भी यह सन्देह करे कि जिस समाजमें ऐसे वीर रत्न हैं उस समाजको अपने लक्ष्यकी प्राप्तिमें सफलता नहीं मिलेगी तो हम कहेंगे कि वह निश्चित रूपसे नास्तिक है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-४-१९१०

१५१. स्वर्गीय श्री वुडहेड

श्री वुडहेडकी मृत्युसे यूरोपीय समाजके साथ-साथ नेटालके भारतीय समाजकी भी बड़ी हानि हुई है। दिवंगत सज्जन, जिनकी उस रोज बहुत ही असामयिक मृत्यु हो गई, 'नेटाल मर्क्युरी' के सम्पादकीय विभागमें २८ वर्ष तक जिम्मेदारीके पदपर काम कर चुके थे। वे जबतक प्रबन्ध सम्पादक रहे, उस समय तक 'मर्क्युरी' ने उपनिवेशकी रंगदार कौमोंसे सम्बन्धित सभी प्रश्नोंपर अपना स्तर सदा ऊँचा रखा और अनेक अवसरों- पर जातीय घृणा और रंग-विद्वेषके खिलाफ समाजको सावधान भी किया। डर्बनकी अनेक भारतीय संस्थाओंने उनकी मृत्युपर शोक प्रकट कर और उसे अपनी क्षति मानकर उचित ही किया है। उनके इस शोकमें हम भी शामिल होते हैं और दिवंगत पत्रकारकी विधवा एवं बच्चोंके प्रति अपनी हार्दिक समवेदना प्रकट करते हैं ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-४-१९१०

१. ११-४-१९१० को वे एक मोटरके नीचे आ गये थे । २. नेटाल भारतीय कांग्रेस, और डर्बन भारतीय समिति (सोसाइटी) आदिने; देखिए “श्री वुडहेडकी मृत्यु ", इंडियन ओपिनियन, १६-४-१९१० । Gandhi Heritage Portal