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१५८. ये निर्वासन

पिछले हफ्ते 'उमलोटी 'में दक्षिण आफ्रिकी समुद्र तटसे जो अमूल्य मानव-भार भारत भेजा गया है उससे अधिक मूल्यवान मानव-भार किसी दूसरे जहाजमें कभी नहीं भेजा गया। उस जहाजमें कोई साठ सत्याग्रही थे । ये लोग अत्यन्त कमजोर गवाहीके आधार- पर प्रशासकीय आज्ञासे, गैरकानूनी तौरपर, ट्रान्सवालसे भारत भेजे गये हैं; और इस आज्ञाके विरुद्ध उपनिवेशके सामान्य न्यायालयोंमें अपील भी नहीं की जा सकती। ये सत्याग्रही कौन हैं ? उनमें से अधिकांश लोगोंने स्वेच्छापूर्वक अपना पंजीयन करवा लिया है और सभी ट्रान्सवालके स्थायी निवासी हैं। उनमें से अधिकांश सत्याग्रहियोंके रूपमें सजाएँ भी भोग चुके हैं और उनमें से कुछ दक्षिण आफ्रिकामें पैदा हुए हैं; वे अभी लड़के ही हैं। कुछ नेटालके अधिवासी भी हैं और कुछ अपनी शैक्षणिक योग्यताके आधारपर नेटाल अथवा केपमें प्रवेश पानेके अधिकारी हैं। इनमें से कई लोगोंके परिवार यहाँ रह गये हैं। अगर भारतसे समयपर मदद न आती तो इन परिवारोंको भूखों मरना पड़ता ।

इन लोगोंको क्यों निर्वासित किया गया है ? किसी समय हमसे कहा गया था कि जो स्वेच्छासे अपना पंजीयन करवा लेंगे, उन्हें निर्वासित नहीं किया जायेगा । परन्तु अब एशियाई [ विभागके ] अधिकारियोंको पता लगा है कि वे स्वेच्छया पंजीयन करानेवाले सत्याग्रहियोंसे भी अपना पिण्ड छुड़ा सकते हैं। इन लोगोंसे अपने प्रमाणपत्र दिखानेको कहा जाता है। वे जवाब देते हैं कि उन्होंने उन कागजोंको जला दिया है। तब उनसे कहा जाता है कि वे अपने दस्तखत करें और अपनी अँगुलियोंके निशान दें। सत्याग्रही इससे स्वभावतः इनकार कर देते हैं। अब प्रमाणपत्र दिखाने और दस्त- खत आदि करनेसे इनकार करना दोनों अपराध हैं और इनके लिए कड़ी सजाएँ हैं। परन्तु उत्साही अधिकारी इनपर कानूनी कार्रवाई करनेके नियमित मार्गका अवलम्बन करना नहीं चाहते। वे मान लेते हैं कि इन लोगोंके पास प्रमाणपत्र हैं ही नहीं। इसलिए वे प्रशासकीय जाँचके अन्तर्गत उन्हें निर्वासित कर देनेका आग्रह करते हैं । वे कहते हैं कि यदि हम इस मार्गका अनुसरण नहीं करेंगे तो कोई भी एशियाई यह बहाना कर सकता है कि उसने अपना पंजीयन करा लिया है और इस तरह 'केवल जेल जा सकता है।' इस दलीलमें दो भ्रान्तियाँ हैं, क्योंकि जो आदमी इस तरहका बहाना करता है वह फिर भी जेल तो जाता ही है। और जब जेल जाता है तब उसे अपनी अँगुलियोंके निशान भी देने ही पड़ते हैं। इसलिए यदि किसीने ऐसा कोई बहाना किया हो तो उसका पता निश्चित रूपसे लग सकता है। अगर इस जाँचमें पता लग गया कि यह आदमी झूठा है तो उसका निर्वासन तो होगा ही, परन्तु इसके अतिरिक्त उसे झूठी कसम खाकर धोखा देनेकी भी सजा दी जायेगी। फिर यह दलील इसलिए भी काम नहीं दे सकती कि श्री चेट्टियार और क्विन' जैसे प्रसिद्ध नेताओंको भी निर्वासित

१. ट्रान्सवाल चीनी संघके अध्यक्ष; देखिए “सर्वोच्च न्यायालयका मामला ", पृष्ठ २६० । १०-१६ Gandhi Heritage Portal