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पत्र : गो० कृ० गोखलेको

मद और स्वार्थसे हमें छुटकारा दे।' और प्रत्येक हिन्दूको (प्रभुसे) ऐसे जुल्मका मुकाबिला करने की शक्तिकी याचना करनी चाहिए ।

[ गुजराती से ]
इंडियन ओपिनियन, २३-४-१९१०

१६१. प्रार्थनापत्र : ट्रान्सवाल विधानसभाको'

अप्रैल २५, १९१०

१. आपके प्रार्थीने एक व्यक्तिगत विधेयक पढ़ा है जिसका उद्देश्य प्रिटोरिया नगरपालिकासे सम्बन्धित कुछ कानूनोंमें सुधार करना और उसकी परिषद (कौन्सिल ) को और अधिक सत्ता देना है।

२. आपका प्रार्थी, संघ (ब्रि० इ० असोसिएशन) की ओरसे, विधेयकके खण्ड ५ का नम्रतापूर्वक विरोध करता है, क्योंकि उसमें १८९९ के २५ अक्तूबरके कुछ नगर- विनियमोंको प्रिटोरिया नगरपालिकामें लागू करनेका विधान है और इन विनियमोंसे ब्रिटिश भारतीयोंके, और अन्य लोगोंके भी, पैदल पटरियोंसे सम्बन्धित अधिकारोंपर आक्रमण होता है।

३. इसलिए आपका प्रार्थी अनुरोध करता है कि सम्मानित सदन कृपा करके खण्ड ५ के उल्लिखित अंशको निकाल दे या कोई ऐसी अन्य उपयुक्त राहत । इस न्याय और दयाके कार्यके लिए प्रार्थी कर्तव्यबद्ध होकर सदा आपके लिए दुआ करेगा।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३०-४-१९१०

१६२. पत्र : गो० कृ० गोखलेको

जोहानिसबर्ग,
अप्रैल २५, १९१०

प्रिय प्रोफेसर गोखले,

मेरे गत ६ दिसम्बरके तारके उत्तरमें आपने तारसे पूछा था कि कितने घनकी आवश्यकता है और अपने जवाबी तारमें मैंने नीचे लिखे अनुसार कहा था :

वर्तमान आवश्यकता, हजार पौंड । मासान्तसे पहले गिरफ्तारीकी आशा । बादमें और अधिक आवश्यकता ।

१. इस प्रार्थनापत्रका मतदअनुमानतः गांधीजीने तैयार किया था और यह ब्रिटिश भारतीय संघके कार्यवाहक अध्यक्ष श्री ई० आई० अस्वातके हस्ताक्षरोंसे भेजा गया था ।

२. इसका गुजराती अनुवाद ७-५-१९१० के इंडियन ओपिनियन में प्रकाशित हुआ था।

३. यह उपलब्ध नहीं है । Gandhi Heritage Portal