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१६३. पत्र: जेल-निदेशकको '

[ जोहानिसबर्ग ]
अप्रैल २६, १९१०

महोदय,

डीपक्लूफ जेलसे हालमें रिहा हुए कुछ सत्याग्रहियोंने मेरे संघका ध्यान ऐसी जानकारी और शिकायतोंकी ओर आकर्षित किया है जिनको मेरा संघ मानवताके हितकी दृष्टिसे आपके सामने रखना अपना कर्तव्य समझता है।

श्री सोराबजी कई बार जेल जा चुके हैं। उनको पिछली बार २६ अक्तूबरको, श्री मेढके साथ फोक्सरस्टमें फिर सजा दी गई। श्री सोराबजीका कहना है कि फोक्सरस्टकी जेलमें इस सजाके दौरान नेल नामक एक वार्डरने उनके साथ बुरा सलूक किया था। पिछली बार जब वे जेल गये थे, तब उनको डॉक्टरके आदेशपर कम मशक्कतका काम दिया गया था और भारी वजन उठानेकी मनाही कर दी गई थी। लेकिन इस बार सजा मिलनेके पहले ही दिन, श्री सोराबजीकी डॉक्टरी परीक्षा होनेसे पहले, वार्डर नेलने उनको पौधोंमें पानी देनेका आदेश दिया, जिसके लिए उनको पाँच-पाँच गैलनकी दो बाल्टियाँ पूरी भरकर कुछ दूर ले जानी पड़ती थीं। इस काममें वे वतनी कैदी भी, जिनके साथ श्री सोराबजी और अन्य भारतीय कैदी रखे गये थे, थोड़ी-बहुत कठिनाई महसूस करते थे। वार्डर नेल श्री सोराबजीको पिछली बारकी जेल-यात्राके समयसे जानता था। उसे यह भी मालूम था कि श्री सोराबजीको डॉक्टरके विशेष आदेशसे कम मशक्कतका काम दिया जाता था और उनको स्टोर सम्हालने, पोशाकोंका हिसाब रखने और बांटनेके काम ही मुख्यतया दिये जाते थे। श्री सोराबजी एक दूसरे वार्डर- औबरहोल्स्टर की निगरानीमें काम कर रहे थे। उस वार्डरको श्री सोराबजीके धीरे-धीरे काम करने और बाल्टियाँ आधी भरकर ले जानेपर आपत्ति न होती थी। लेकिन उस दिन दो बजे वार्डर नेल आया और उसने उनसे दोनों बाल्टियाँ पूरी भरकर ले जानेका आग्रह किया। श्री सोराबजीने उसका विरोध किया और कहा कि वह उन्हें जानता है और उसे यह भी मालूम है कि पिछली बार चिकित्सा अधिकारीने उनसे कम मशक्कतका काम ही करवाया था। उन्होंने वार्डरका ध्यान इस बातकी ओर भी खींचा कि वे आंत उतरने और दिलकी धड़कन बढ़नेकी बीमारीसे पीड़ित हैं; उनके हाथकी हड्डी भी उतरी हुई है। लेकिन वार्डरने उनकी बातपर ध्यान नहीं दिया और पौधोंको पानी देनेके लिए भरी बाल्टियाँ ले जानेकी जिद करता रहा। श्री सोराबजीको चिकित्सा अधिकारीसे मिलने तक यानी


१. जेल-निदेशकके नाम लिखे इस पत्रका मसविदा सम्भवतः गांधीजीने तैयार किया था और इसपर ब्रिटिश भारतीय संवके कार्यवाहक अध्यक्ष श्री ई० आई० अस्वातने हस्ताक्षर किये थे ।

२. नेटालके एक प्रमुख सत्याग्रही, देखिए "खास रिहाइयाँ", पृष्ठ २५३ । Gandhi Heritage Portal