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पत्र: जेल-निदेशकको

दो दिन वही काम करना पड़ा। जब उन्होंने चिकित्सा अधिकारीका ध्यान इस ओर आकर्षित किया तो तुरन्त ही आदेश दिया गया कि उनसे कोई भी ज्यादा मशक्कतका काम न लिया जाय और ज्यादा भारी बोझ भी न उठवाया जाये । स्पष्ट है कि बार्डर नेल उनसे बदला लेना चाहता था; इसीलिए उसने श्री सोराबजीपर अनुशासन भंग करनेका अभियोग लगाया और उनको मजिस्ट्रेटके सामने पेश किया। अनुशासनका भंग इस बातमें बताया गया कि श्री सोराबजीने अपनी दशाकी ओर उसका ध्यान आकर्षित किया था । वार्डरके कथनानुसार श्री सोराबजीने उससे यह भी कहा था कि "मुझे अपना काम करने दो। मुझे तुम नाहक तंग कर रहे हो । " श्री सोराबजीने इससे इनकार किया। उन्होंने वार्डरसे जिरह की और मजिस्ट्रेटको पूरा किस्सा सुनाया । इसपर मजिस्ट्रेटने कहा कि श्री सोराबजीको दिये गये कामके औचित्यपर विचार करना उनका काम नहीं है; वे तो अनुशासन-भंगके मामलेपर विचार कर रहे हैं और श्री सोराबजीको उन्होंने कम खुराक दिये जानेकी सजा दी । यहाँ इसका उल्लेख भी शायद किया जाना चाहिए कि चिकित्सा अधिकारीका, चूंकि श्री सोराबजीको कम मशक्कतका काम देनेका आदेश था, इस वार्डरने उनको गन्देसे गन्दा अर्थात् संडास साफ करनेका काम दिया। श्री सोराबजी चाहते हैं कि मैं आपको बतला दूं कि एक सत्याग्रही होनेके नाते उनको उस कामपर भी कोई आपत्ति नहीं है, पर मेरा संघ इस मामलेको आपकी जानकारीमें लाना अपना कर्तव्य समझता है।

फोक्सरस्टसे तबादिलेके समय श्री सोराबजीके साथ सर्वश्री मेढ और हरिलाल गांधी थे। तीनोंको एक-साथ हथकड़ियाँ लगाकर जेलसे स्टेशन तक एक मील पैदल चलाया गया। हथकड़ियाँ लगी होनेपर भी उनसे उनके सामानके गट्ठर भी उठवाए गए। ये काफी भारी थे; क्योंकि उनमें उनके कपड़े-लत्तोंके अलावा किताबें भी थीं, और साथ ही निगरानी करनेवाले वार्डरकी चीजें और एक-एक कम्बल भी उठवाये गये । उनको इसी तरह पार्क स्टेशनसे फोर्ट तक पैदल ले जाया गया ।

सर्वश्री मेढ और सोराबजी अभी हालमें रिहा हुए हैं। दोनोंने ही डीपक्लूफ जेलके हालातके बारेमें वहाँसे रिहा होनेवाले अन्य कैदियोंके इस कथनकी पुष्टि की है कि चिकित्सा अधिकारी अभीतक कैदियोंके उन कष्टोंके प्रति भी, जिनको आसानीसे दूर किया जा सकता है, निर्दयता दिखाते हैं। श्री थम्बी नायडू अभी डीपक्लूफ जेलमें हैं। मेरे संघकी मान्यता है कि वे बड़े वीर पुरुष हैं और असत्य भाषण करना उनके स्वभावमें ही नहीं है। उन्होंने एक बार चिकित्सा अधिकारीसे शिकायत की थी कि कैदियोंको आधे पेट रहना पड़ता है। चिकित्सा अधिकारीने इसपर उनको झूठा कहा था। श्री मेढने अक्सर शिकायत की कि उनका वजन घटता जा रहा है और उनको अधिक अच्छे किस्मका भोजन दिया जाना चाहिए और भोजनकी मात्रा भी बढ़ा देनी चाहिए। परन्तु चिकित्सा अधिकारी इसपर हँसा और उसने शिकायतपर कोई ध्यान नहीं दिया। श्री मेढका वजन २५ पौंडसे भी अधिक घट गया था। उन्होंने डिप्टी-गवर्नरसे उसकी शिकायत की और उसपर पहली अप्रैलसे, अर्थात् जेल-जीवनके केवल आखिरी तीन हफ्तोंमें, उनके भोजनकी मात्रा बढ़ाई गई। वजन घटनेकी शिकायत अधिकतर कैदी करते हैं, लेकिन Gandhi Heritage Portal