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प्रिटोरिया नगरपालिका

एक कमीज और एक अतिरिक्त कम्बल देनेके लिए प्रार्थना की थी, लेकिन उस अधिकारीने राहत देनेसे साफ इनकार कर दिया ।

मेरे संघको भरोसा है कि इस पत्रमें जिन मामलोंका उल्लेख किया गया है, उनपर आप अविलम्ब सावधानीसे विचार करेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३०-४-१९१०

१६४. खास रिहाइयाँ

सर्वश्री सोराबजी और मेढ, जो सत्याग्रह-संग्रामके मुख्य स्तम्भोंमें से हैं, गत शनिवारको छोड़ दिये गये। दोनों ही एक वर्षसे अधिक जेलमें रहे। दोनों शिक्षित हैं और दोनोंने भारतके सम्मानके लिए अपने सर्वस्वका त्याग किया है। सोराबजीने लड़ाईके दूसरे चरणका श्रीगणेश किया था और श्री मेढ नेटाली भारतीयोंके उस पहले जत्थे में थे जिसने ब्रिटिश प्रजाके रूपमें अपने अधिकारोंकी परीक्षा करनेके लिए ट्रान्सवालमें प्रवेश किया था। दोनोंने जेलवासमें बहुत कष्ट उठाये हैं। श्री मेढका वजन बहुत घट गया है। परन्तु नैतिक बल -- आत्मबल – दोनोंका बढ़ा है। उनकी भौतिक हानिसे समाजका लाभ हुआ है। हम भारतके इन दोनों सेवकोंको बधाई देते हैं और कामना करते हैं कि ईश्वर उनको भविष्यमें आनेवाले अन्य कष्टोंको सहनेकी भी शक्ति दे ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३०-४-१९१०

१६५. प्रिटोरिया नगरपालिका'

प्रिटोरियाकी बदनाम नगरपालिका रंगदार जातियोंके विरुद्ध अपनी युद्ध रत रहनेकी ख्यातिकी रक्षा बराबर कर रही है। बोअर-शासनके नगर-विनियमोंको, जिनमें वर्तनियों, रंगदार लोगों और एशियाइयोंको पैदल-पटरियोंपर चलनेकी मनाही की गई है, कायम रखनेके लिए ट्रान्सवाल संसदके गत अधिवेशनमें एक गैरसरकारी विधेयक पेश किया गया था । ट्रान्सवालके ब्रिटिश भारतीय संघ (ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन) ने इस विधेयकका विधिवत् विरोध करके बहुत अच्छा किया है। विधेयकमें एक धारा इस आशयकी है, जो ठीक भी है, कि जबतक सम्राट् यह प्रकट न कर देंगे कि उन्होंने

१. देखिए "प्रिटोरियाकी नगरपालिका ", पृष्ठ २५५ ।

२. देखिए " प्रार्थनापत्र : ट्रान्सवाल विधान-सभाको ”, पृष्ठ २४५ । Gandhi Heritage Portal