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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस कानूनको नामंजूर नहीं किया है तबतक यह कानून लागू नहीं किया जायेगा। अब लॉर्ड क्रू के लिए यह दिखानेका अवसर आ गया है कि वे दक्षिण आफ्रिकाके प्रति- निवित्वहीन वर्गोंको अपमान और उत्पीड़नसे बचानेके लिए तैयार हैं। परन्तु अपीलका अन्तिम निर्णय करनेवाले तो स्वयं वे लोग हैं और उन्हें ही होना चाहिए जिनपर इस विरोधी कानूनका असर होगा ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३०-४-१९१०

१६६. फिर तीन पौंडी कर

जिन भारतीयोंसे ३ पौंडका वार्षिक व्यक्ति कर वसूल किया जा सकता है उन भारतीयोंको सरकारने सूचित किया है कि वे फिर गिरमिटमें बँधकर इस करसे बच सकते हैं। जिन स्त्रियोंपर यह कर लग सकता है, उनको भी सूचित किया गया है कि वे अपने जिलेके मजिस्ट्रेटको इस करसे बचनेका समुचित कारण बताकर इससे बच सकती हैं। जाहिर तौरपर यह सूचना सम्बन्धित पुरुषों और स्त्रियोंके लिए हितकर प्रतीत होती है । परन्तु वास्तवमें ऐसा नहीं है । जहाँतक पुरुषोंका सम्बन्ध है, यह सूचना पूर्णत: भारतीय मजदूरोंको नौकर रखनेवाले मालिकोंके लाभके लिए निकाली गई है। उन्हींको ध्यानमें रखकर कानूनमें यह संशोधन किया गया है; क्योंकि जिन भारतीयोंपर कर लगाया जा सकता है, मालिकोंको उन्हें अधिक मजदूरी देनी पड़ती है जिससे कि वे करको चुका दें। इसलिए एक आत्म-तुष्ट सरकारने भारतीयोंको इस करसे मुक्त करके मदद उन मालिकोंकी की है जो उन्हें नौकर रखना चाहते हैं । अतः यह सूचना वास्तवमें उन अभागे भारतीयोंके लिए एक चेतावनी है कि वे या तो पुनः गिरमिटमें बँध जायें या कर देनेके लिए तैयार हो जायें ।

जहाँतक स्त्रियोंका सम्बन्ध है, इस लज्जाजनक प्रकरणके बारेमें जितना ही कम कहा जाये उतना ही अच्छा है । जिस सरकारने विधानसभामें शोर मचानेवाले दलके सामने आत्मसमर्पण कर दिया हो उस सरकारसे इन स्त्रियोंके लिए अपमानजनक सूचनासे अच्छी चीजकी उम्मीद भी नहीं की जा सकती थी । वास्तवमें उनका नारीत्व ही करसे मुक्ति पानेका पर्याप्त कारण होना चाहिए। अगर वह पर्याप्त कारण नहीं है तो दूसरा कोई कारण पर्याप्त नहीं हो सकता। यदि उनके नारी होनेसे उनकी रक्षा नहीं हो सकती तो उन्हें भी पुरुषोंकी तरह फिर गिरमिटमें बँधना पड़ेगा। परन्तु हमें आशा है कि एक भी भारतीय स्त्री ऐसा कुछ नहीं करेगी।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३०-४-१९१०