पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/२९७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

________________

१६७. प्रिटोरियाकी नगरपालिका

प्रिटोरियाकी नगरपालिकाने रद्दी कामोंके सिवा और कुछ करना नहीं जाना । यह नगरपालिका काले लोगोंके प्रति द्वेष-भावके लिए विख्यात हो गई है। जान पड़ता है, काले लोगोंको दुःख देनेके लिए ही उसका जन्म हुआ है। ट्रान्सवालकी संसदके पिछले सत्र में भी उक्त नगरपालिकाने काले लोगोंपर प्रहार किया था। एक खानगी विधेयक द्वारा उसने ऐसा विनियम बनानेका निश्चय किया है कि जिससे काले लोग पैदल- पटरीपर न चल सकें। काले लोगोंमें केप ब्वाएज़ और एशियाइयोंका समावेश हो जाता है । यह ठीक हुआ है कि इसके विरोध में ब्रिटिश भारतीय संघने अर्जी दी है। लॉर्ड क्रू को भी अर्जी भेजनी पड़ेगी। देखना है, उक्त महानुभाव और लॉर्ड मॉर्ले क्या कहते हैं । किन्तु याद रखना चाहिए कि हमें आखिरी फरियाद तो अपने-आपसे ही करनी है। क्या प्रिटोरियामें भारतीय पैदल-पटरी छोड़कर सड़कपर चलेंगे ?

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३०-४-१९१०

१६८. पत्र : गो० कृ० गोखलेको

जोहानिसबर्ग मई २, १९१०

प्रिय प्रोफेसर गोखले,

मैं आपके नाम लिखा गया एक खुला पत्र भेज रहा हूँ ।" काफी विचारके बाद मैंने सोचा कि मेरे लिए ऐसा ही करना सर्वोत्तम होगा । यह पत्र यहाँ समाचारपत्रोंको दे दिया गया है और मुझे विश्वास है कि आप भी इसे वहाँ प्रकाशित कर देंगे। इस पत्रसे मुझे दानदाताओंको सूचना देनेमें भी मदद मिलती है। श्री पेटिटने मुझे लिखा है कि 'इंडियन ओपिनियन' के मदमें मैंने जो खर्च किया है उसे श्री टाटा ठीक मानते हैं । आपके पत्र से, जिसका मैंने संलग्न पत्रमें उल्लेख किया है, इस बारेमें पहले ही आश्वस्त हो चुका था । परन्तु मुझे श्री टाटाकी भी स्पष्ट मंजूरी मिल गई, यह ठीक हुआ ।

मुझे पूरी आशा है कि 'हिन्द स्वराज्य' को गुजराती में और अब उसके अंग्रेजी अनुवादको प्रकाशित करनेकी मेरी कार्रवाईसे इस समय ट्रान्सवालमें चलनेवाले संघर्षपर

१. देखिए “ पत्र : गो० कृ० गोखलेको ", पृष्ठ २४५-४९ ।

२. मई ७, १९१० के इंडियन ओपिनियनमें उद्धृत । Gandhi Heritage Porta