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१८८. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सोमवार [ मई २३, १९१०]

निर्वासित व्यक्ति

निर्वासित लोगों में से श्री आचारी अपने २३ अप्रैलके पत्रमें जंजीबारसे लिखते हैं कि जो लोग निर्वासित किये गये हैं वे जहाजमें प्रसन्न थे । उनका भोजनके सम्बन्धमें कप्तानसे कुछ झगड़ा चल रहा था । वह ब्रिटिश राजदूतकी सलाहसे बेरामें तय कर दिया गया ।

अन्य निर्वासित व्यक्ति

श्री डेविड अर्नेस्ट और २३ अन्य भारतीयोंको १८ तारीखको 'अमफूली' जहाजमें निर्वासित किया गया । उनके साथ श्री क्विन और अन्य २५ चीनी हैं। उनका जहाज कोलम्बो जायेगा । वहाँसे आगे प्रवासियोंका क्या होगा, यह निश्चित नहीं है । चीनियोंको चीन ले जानेकी बात है। श्री क्विनने सूचित किया है कि चीनी राजदूतने चीनियोंके खाने-पीने का अच्छा बन्दोबस्त किया है। इसके अतिरिक्त चीनी लोग पुर्तगालकी राज- धानी लिस्बन स्थित चीनी राजदूतसे पुर्तगाली सरकारको पत्र लिखवानेका उपक्रम कर रहे हैं।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २८-५-१९१०

१८९. तार : वाइकाउंट ग्लैड्स्टनके सचिवको '

जोहानिसबर्ग
मई २६, १९१०

सादर स्वागत सम्बन्धमें आप ब्रिटिश भारतीय संघ परमश्रेष्ठका और लेडी ग्लैडस्टनका करता है। उपनिवेशमें चल रहे दुःखजनक एशियाई संघर्षके यदि एक छोटे शिष्टमण्डलको भेंटका समय देंगे तो संघ आभारी होगा ।

- अ० मु० काछलिया
अध्यक्ष

[ अंग्रेजीसे ]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स : सी० डी० ५३६३ ।

१. इस तारका मसविदा अनुमानत: गांधीजीने तैयार किया था । २३ जूनको सचिवने उत्तर दिया कि वास्काउंट ग्लैडस्टन शिष्टमण्डलसे नहीं मिल सकते । देखिए “जोहानिसबर्ग की चिट्टी", पृष्ठ ३०० । Gandhi Heritage Porta