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जर्मन पूर्वी आफ्रिका लाइनके जहाज

श्री जैमिसनके पत्रको दाखिल-दफ्तर कर सकता है और श्री डागके प्रतिवेदनकी भी उपेक्षा कर सकता है । क्या हमारे नेता उसे ऐसा कर लेने देंगे ? तमाम भारतीय संस्थाओंके सामने यह एक सीधा-सा काम है । यह काम ऐसा है कि जिसमें बगैर अधिक कष्टके सफलता मिल सकती है । भारतीय बस्तीके निरीक्षणके लिए किसीको भी नियुक्त कर सकते हैं, सही-सही जानकारी एकत्र कर सकते हैं, वहाँके निवासियोंको उनका कर्तव्य समझा सकते हैं, उन्हें बता सकते हैं कि खुद उन्हें क्या करना चाहिए, और जबतक निगम अपने इस कर्तव्यका पालन न करने लगे तबतक खुद निगमके पीछे पड़कर उसे परेशान भी कर सकते हैं ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २८-५-१९१०

१९१. जर्मन पूर्वी आफ्रिका लाइनके जहाज

'कांज़लर' नामका एक जहाज गत ३१ मार्चको बम्बईसे चला था । उसके मुसा- फिरोंने कुछ आरोप लगाये हैं, जिन्हें हम अन्यत्र प्रकाशित कर रहे हैं। इनकी तरफ हम जर्मन पूर्वी आफ्रिका जहाजी लाइनके एजेंटका ध्यान दिलाना चाहते हैं। यदि ये आरोप सही हैं तो इन्हें 'कांज़लर' जहाजके अधिकारियोंपर गम्भीर आक्षेप कहा जायेगा । हम आशा करते हैं कि कम्पनीके एजेंट इन आरोपोंकी पूरी जाँच करेंगे। इसके साथ ही हम उन्हें सावधान कर देना चाहते हैं कि यदि ये अधिकारी इन आरोपोंको स्पष्ट शब्दों में अस्वीकार कर दें और एजेंट उससे सन्तोष मान लें तो भी हमें उससे सन्तोष नहीं होगा । शायद मुसाफिरोंमें से अधिकांश उपलब्ध हो सकते हैं । उन्होंने अपने नाम दे दिये हैं । अतः और नहीं तो कमसे कम अपने हितमें इन आरोपोंकी पूरी-पूरी जाँच करना कम्पनीके एजेंटोंका कर्तव्य है । हम विश्वास नहीं कर सकते कि वे अपने मुसाफिरोंके साथ, फिर वे भारतीय हों या यूरोपीय, किये गये दुर्व्यवहारको बढ़ावा देंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २८-५-१९१०

१. डर्बन नगर परिषदको दिया गया ज्ञापन, जो २१-५-१९१० के इंडियन ओपिनियन में छापा गया था। २. यह भी २१-५-१९१० के इंडियन ओपिनियन में छापा गया था । ३. ये यहाँ नहीं दिये गये हैं; ये सोनेकी जगह, पानीके इन्तजाम, चिकित्साकी सुविधा और भारतीय यात्रियोंसे दुर्व्यवहारके सम्बन्धमें थे ।