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जोहानिसबर्ग की चिट्ठी

है। मैंने भुने गेहूँकी कॉफी बनाना भी सीख लिया है। यह बच्चों तक को पेयके रूपमें दी जा सकती है। फार्मपर रहनेवाले सत्याग्रहियोंने चाय और कॉफीका प्रयोग करना छोड़ दिया है और फार्मपर तैयार की गई भुने गेहूँकी कॉफी पीने लगे हैं। इसके लिए गेहूँ एक खास तरीकेसे भून कर पीस लिया जाता है। हमारा इरादा है कि इन चीजोंकी अतिरिक्त पैदावार बादमें लोगोंको बेची जाये । इस समय हम लोग फार्मपर चालू भवन निर्माणमें मजदूरोंकी जगह काम कर रहे हैं, इसलिए ऊपर बताई गई चीजें जरूरत से ज्यादा तैयार नहीं कर सकते।

जी० ए० नटेसन ऐंड कं० मद्राससे प्रकाशित डॉ० प्राणजीवन मेहता कृत 'एम० के० गांधी ऐंड द साउथ आफ्रिकन इंडियन प्रॉब्लेम' से।

२०३. तार : दक्षिण आफ्रिका ब्रिटिश भारतीय समितिको

जोहानिसबर्ग
जून ६, १९१०

रायप्पनको छः सप्ताहकी सजा । पहली जूनको सोराबजी सातवीं बार गिरफ्तार । निर्वासनकी आज्ञा । भायात रिहा । दुर्बल और इन्फ्लूएंजासे पीड़ित । शेलतको मैलेकी बाल्टियाँ ले जाने से इनकार करनेपर अल्प भोजनकी सजा। कोड़ोंकी धमकी।

गांधी

[ अंग्रेजीसे ]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स (सी० डी० ५३६३) और 'इंडिया' १०-६-१९१०से भी ।

२०४. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सोमवार [जून ६, १९१० ]

रिहाइयाँ

मेजर टॉमस, श्री कुप्पुसामी नायडू, श्री टी० नारणसामी पिल्ले और श्री पपीया मुनसामी आज रिहा कर दिये गये।

शेलतपर अत्याचार

जो लोग जेलसे रिहा हुए हैं उन्होंने खबर दी है कि श्री शेलतसे मैलेकी बाल्टियाँ उठानेका काम लिया जाने लगा है। गत सप्ताह उनको २४ घंटेकी तनहाई, और

१. इंडियाने अपने १०-६-१९१० के अंकमें इस तारको प्रकाशित करते हुए लिखा था: “श्री गांधीने यह भी कहा है कि कुछ भी हो हमारा संघर्ष तबतक जारी रहेगा जबतक न्याय नहीं किया जाता। " Gandhi Heritage Portal