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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कम खुराककी सजा दी गई थी। अब गवर्नरने कहा है कि यदि वे काम न करेंगे तो उनको कोड़ोंकी सजा दी जायेगी। श्री शलतने कहा है कि उनको कोड़ोंकी सजा मंजूर है, लेकिन वे मैलेकी बाल्टी नहीं ले जायेंगे। आज जेलमें श्री शेलतकी फिर पेशी है । उसका समाचार हमें इस समय मिलना सम्भव नहीं है। उनके सम्बन्धमें सरकारसे लिखा-पढ़ी की गई है।"

सोराबजी

श्री सोराबजी प्रिटोरिया ले जाये गये हैं । वहाँसे वे लिखते हैं कि उनको जोहानिसबर्गके मुकाबले प्रिटोरियाके चार्ज ऑफिसमें ज्यादा आराम है।

थम्बी नायडू

श्री थम्बी नायडू फिर गिरफ्तार कर लिए गये हैं। उन्हें अधिकारी एक मिनट भी बाहर नहीं रहने दे सकते। उनका उत्साह अतुलनीय है । क्या उनकी प्रशंसामें भी कुछ लिखनेकी जरूरत है? उनकी टक्करके सत्याग्रही इस लड़ाई में बिरले ही निकले हैं। यह उनकी आठवीं गिरफ्तारी है।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-६-१९१०

२०५. पत्र : ट्रान्सवालके प्रशासकको

[ जोहानिसबर्ग ]
जून ७, १९१०

महोदय,

जेलसे कल रिहा हुए भारतीय सत्याग्रही खबर लाये हैं कि डीपक्लूफ जेलमें कैद एक ब्राह्मण सत्याग्रही, श्री शेलतको तनहाईकी और कम खूराककी सजा दी गई है, क्योंकि धर्मके विरुद्ध होनेके कारण आन्तरिक प्रेरणापर उन्होंने मैलेकी बाल्टियाँ ढोनेसे इनकार कर दिया। रिहा हुए सत्याग्रहियोंके कथनानुसार श्री शेलतको धमकी दी गई है कि यदि वे इसी प्रकार अवज्ञा करते रहेंगे तो उन्हें कोड़ोंकी सजा दी जायेगी । मेरे संघको विश्वास है कि यदि इस तरहकी कोई धमकी दी भी गई हो,' १. देखिए अगला शीर्षक 1 २. इस पत्रका मसविदा अनुमानतः गांधीजीने तैयार किया था और उसपर ' जरूरी' लिख दिया था । इसे ब्रिटिश भारतीय संघके कार्यवाहक अध्यक्ष श्री ई० एस० कुवादिया के हस्ताक्षरसे प्रशासकके नाम प्रिटोरिया भेजा गया था । ३. जेल - निदेशक ने इसका उत्तर २१ जूनको दिया था, जिसे २५-६-१९१० के इंडियन ओपिनियनमें छापा गया था । इसमें उसने कहा था : " कोई लगाने की कोई धमकी नहीं दी गई है और इस प्रकारका अपराध करनेपर ऐसा दण्ड कभी नहीं दिया जायेगा । "