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२१०. नायडू

श्री थम्बी नायडू और श्री सोराबजी, इन दोनों सत्याग्रहियोंकी जोड़ी अनोखी है। श्री सोराबजीको गिरफ्तार करते ही श्री थम्बी नायडूपर चोट की गई। जिस दिन उनके पुत्रकी रिहाई हुई उसी दिन वे गिरफ्तार किये गये; यह कोई साधारण बात नहीं है ।

चूंकि जनरल स्मट्सकी कुर्सी और भी पक्की हो गई है, इसलिए अब वे जमकर हाथ दिखाने लगे हैं। इससे सत्याग्रही घबरानेवाले नहीं हैं। कष्ट सहना उनका धन्धा ही बन गया है, इसलिए जेल उन्हें उसी तरह माफिक आ गया है, जैसे मछलीको पानी । जबतक ऐसे दृढ़ भारतीय मौजूद हैं तबतक भारतीय समाजकी जीत निश्चित है। फिर अन्य भारतीयोंको भी अपनी शक्तिके अनुसार अपने कर्तव्यका पालन करना चाहिए; इसके कई तरीके हैं जिनका उल्लेख हम समय-समयपर करते रहे हैं। हमें आशा है कि भारतीय समाजको श्री थम्बी नायडू और अन्य सत्याग्रहियोंके उदाहरणोंसे प्रेरणा मिलेगी ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-६-१९१०

२११. कैलेनबैककी भेंट

श्री कैलेनबैकने सत्याग्रहियोंके उपयोगके लिए अपना फार्म दे दिया है; हम उनकी इस भेंटको बहुत मूल्यवान मानते हैं। यदि सत्याग्रहियोंके परिवार इसका ठीक उपयोग करेंगे तो संघर्ष चाहे जितना लम्बा चले, हमें चिन्ता करनेकी जरूरत न होगी। इससे खर्चमें बहुत कमी हो जायेगी और फार्ममें जो लोग जायेंगे वे सुखी होंगे। उनका जीवन शहरके गन्दे और निकम्मे जीवनकी अपेक्षा अच्छा बीतेगा। इसके अलावा वे फार्ममें जो कुछ सीखेंगे वह उनके लिए सदा उपयोगी होगा। हम तो पहले भी लिख चुके हैं कि यदि भारतीय खेतीका धन्धा अपनायें तो उन्हें बहुत लाभ होगा और वे व्यापारमें होनेवाले दुःखोंसे छूट जायेंगे। हम इस अच्छे धन्धेको मान नहीं देते; इसलिए बहुत हानि उठाते हैं ।

हमें आशा है कि भारतीय नेता श्री कैलेनबैकको पत्र भेजकर आभार प्रदर्शित करेंगे। उनकी भेंटका समुचित लाभ हमें तभी दिखाई देगा जब बहुत-से भारतीय वहाँ जाकर रहें ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ११-६-१९१०

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