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२१२. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सोमवार [ जून १३, १९१० ]

टॉल्स्टॉय फार्म

श्री कैलेनबैकने सत्याग्रही परिवारोंके लिए जो फार्म खरीद कर दिया है उसका नाम उन्होंने टॉल्स्टॉय फार्म रखा है। श्री कैलेनबैक काउंट टॉल्स्टॉयकी शिक्षाओंमें बहुत विश्वास रखते हैं और उनके अनुसार आचरण करनेका प्रयत्न करते हैं। वे स्वयं भी फार्ममें रहना चाहते हैं और सादा जीवन बितानेका इरादा रखते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि श्री कैलेनबैक धीरे-धीरे अपना वास्तुकार (आर्किटेक्ट) का धन्धा छोड़ देंगे और बिलकुल सादगीसे रहेंगे ।

श्री कैलेनबैकने फार्मको उपयोगके लिए देकर मूल्यवान सेवा की है; परन्तु उन्होंने स्वयं हम लोगोंके साथ रहना पसन्द किया, उनकी यह सेवा और भी मूल्य- वान है। श्री कैलेनबैकने श्री गांधीकी अनुपस्थितिमें महिलाओंकी देखभालका दायित्व भी अपने ऊपर लिया है। किसी गोरेमें ऐसा उत्साह उत्पन्न होना केवल सत्याग्रहका ही प्रताप कहा जायेगा ।

इस फार्ममें लगभग १,१०० एकड़ जमीन है। यह दो मील लम्बा और पौन मील चौड़ा है। यह जोहानिसबर्गसे बाईस मील दूर लॉली स्टेशनके निकट है। स्टेशनसे वहाँ २० मिनटमें पहुँचा जा सकता है। यहाँसे रेल द्वारा वहाँ पहुँचनेमें साधारणतः डेढ़ घंटा लगता है ।

फार्मकी जमीन उपजाऊ दिखाई देती है। उसमें फलोंके लगभग एक हजार पेड़ हैं। उनमें आड़, खूमानी, अंजीर, बादाम, अखरोट इत्यादि हैं। इसके अतिरिक्त युकेलिप्टस और वाटलके' पेड़ भी हैं। उसमें दो कुएँ और एक छोटा झरना है। यहाँका दृश्य भी सुन्दर है । इसके एक सिरेपर पहाड़ी है और पहाड़ीके नीचे समतल मैदान है। श्री कैलेनबँक, श्री गांधी और उनके दो पुत्र तो ४ जूनसे ही वहाँ रहने चले गये हैं। सत्याग्रहियोंको ले जानेकी व्यवस्था की जा रही है। श्री कैलेनबैंक और श्री गांधी सोमवार और गुरुवारको शहरमें आते हैं और सप्ताह के शेष दिन फार्ममें बिताते हैं ।

पिछले रविवारको कुछ मुख्य महिलाएँ, श्री थम्बी नायडू और श्री गोपाल नायडू आदि फार्म देखनेके लिए गये थे। वे दिन-भर फार्ममें रहे। श्री कैलेनबँक, श्री गांधी और उनके पुत्रोंने सबको रसोई बनाकर खिलाई। श्री कैलेनबैंकन फार्म दिखाया और सब सन्तुष्ट हुए। श्री गोपाल नायडूने वहाँ रहनेका निश्चय कर ही लिया था, इसलिए अब वे भी वहीं रहते हैं। उसी दिन श्री मूसा नथी भी, जिनकी फार्मके पास

१. एक बबूल जातीय वृक्ष, जिसकी छाल चमड़ा पकाने में काम आती है । Gandhi Heritage Heritage Portal